संभव भी असम्भव
अस्थिर मन और
मन की इच्छा ।
स्वयं का दोषी
कर देती है ।।
मन में उठती
निर्मूल आशंका ।
जीवन – मृत्यु सा
कर देती है।।
भोग-विलास की
मन की इच्छा ।
दुःख का कारण
कर देती है ।।
मन में उत्पन्न
भय की उत्पत्ति ।
संभव भी असंभव
कर देती है ।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद