Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Feb 2024 · 1 min read

संभल जाओ, करता हूँ आगाह ज़रा

हे ! जग में रहने वाले,
संभल जाओ, करता हूँ आगाह ज़रा !
प्रकृति के हो तुम आसरे,
यूँ धरा की सुंदरता बिगाड़ो ना !!

रमणीयता घने वन- उपवन की,
निज स्वार्थ मे मात्र उजाड़ो ना !
घातक न बन जाये करनी तुम्हारी,
संभल जाओ, करता हूँ आगाह ज़रा !!

सागर नदियाँ झीलें ये प्रकृति के श्रोत,
अमृत रस का है खान यहाँ !
दूषित करके प्रकृति के अवयवों को,
क्यों मिटा रहा जीवन का आधार अपना!!

नष्ट करके पर्वत और पठार,
लगा बारूद विध्वंस को बुला रहा !
आसन धरती का डोलेगा जब,
नहीं बचेगा मानव के निशान यहाँ !!

पशु -पंछी सकल जीवधारी भी रहते,
पर्यावरण से जुड़ कर सब फलते-फूलते !
यूँ प्रकृति को विलासिता और लालच मे तबाह न कर,
संभल जाओ, करता हूँ आगाह ज़रा !!

हर जाति वर्ग और वर्ण से बता दो,
प्रकृति से अत्यधिक करता नहीं कोई प्यार तुमको!
दोहन ना करो इस कदर भविष्य का ख्याल रखो,
संभल जाओ, करता हूँ आगाह ज़रा !!

🌸बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।

2 Likes · 114 Views
Books from Buddha Prakash
View all

You may also like these posts

राजभवनों में बने
राजभवनों में बने
Shivkumar Bilagrami
एक बार होता है
एक बार होता है
Pankaj Bindas
ऑनलाइन शॉपिंग
ऑनलाइन शॉपिंग
Shekhar Chandra Mitra
सबसे बड़ी शिक्षक
सबसे बड़ी शिक्षक
Surinder blackpen
जीने का अंदाज
जीने का अंदाज
Deepali Kalra
Nowadays doing nothing is doing everything.
Nowadays doing nothing is doing everything.
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
राम का न्याय
राम का न्याय
Shashi Mahajan
स्कूल गेट पर खड़ी हुई मां
स्कूल गेट पर खड़ी हुई मां
Madhuri mahakash
■आज का ज्ञान■
■आज का ज्ञान■
*प्रणय*
सती अनुसुईया
सती अनुसुईया
Indu Singh
देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा
देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
Thought
Thought
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
सरपरस्त
सरपरस्त
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
दुम
दुम
Rajesh
सपने ....
सपने ....
sushil sarna
بولنا سب کو أتا ہے
بولنا سب کو أتا ہے
इशरत हिदायत ख़ान
*Loving Beyond Religion*
*Loving Beyond Religion*
Poonam Matia
शहर की बस्तियों में घोर सन्नाटा होता है,
शहर की बस्तियों में घोर सन्नाटा होता है,
Abhishek Soni
*नए दौर में*
*नए दौर में*
Shashank Mishra
सन 1947 से पहले का दृश्य
सन 1947 से पहले का दृश्य
प्रकाश जुयाल 'मुकेश'
उम्मीद
उम्मीद
Dr fauzia Naseem shad
देश- विरोधी तत्व
देश- विरोधी तत्व
लक्ष्मी सिंह
हिन्दी के साधक के लिए किया अदभुत पटल प्रदान
हिन्दी के साधक के लिए किया अदभुत पटल प्रदान
Dr.Pratibha Prakash
मायापति की माया!
मायापति की माया!
Sanjay ' शून्य'
हमने ख्वाबों
हमने ख्वाबों
हिमांशु Kulshrestha
*मानपत्रों से सजा मत देखना उद्गार में (हिंदी गजल/
*मानपत्रों से सजा मत देखना उद्गार में (हिंदी गजल/
Ravi Prakash
- वीर शिरोमणी मंडोर प्रधान राव हेमाजी गहलोत -
- वीर शिरोमणी मंडोर प्रधान राव हेमाजी गहलोत -
bharat gehlot
मौलिक विचार
मौलिक विचार
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
कहूँ तो कैसे कहूँ -
कहूँ तो कैसे कहूँ -
Dr Mukesh 'Aseemit'
Loading...