संपन्नता का सृजन
संपन्नता का सृजन, मानस पटल पर होता है
मानसिक रूप से समृद्ध, संतुष्ट संपन्न होता है
भौतिक संपत्ति धन संपदा, संपन्नता की निशानी नहीं
मानसिक संतुष्टि, संपन्नता की निशानी है
भौतिक साधनों की अत्यधिक लिप्साअंतहीन लोभ लालसा, मानसिक दरिद्रता की निशानी है
अंतहीन तृष्णा में,बर्तमान खोता है
वही मानसिक निर्धन होता है
जिसकी तृष्णा अपार है, वही सबसे बड़ा निर्धन है
संतुष्ट निर्धन, विना धन भी धनी और सुखी होता है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी