संदेश २०१९ का -:
वक़्त के आगोश में ,मैं ! दोस्तों सो जाऊंगा।
लम्हा -लम्हा जी लो मुझको ,लौट के ना आऊंगा।
ध्यान रख, मैं ! हूं तेरा आज,
कर तू मुझ पर नाज।
आंख जब खुलेगी तो, इतिहास मैं बन जाऊंगा।
लम्हा -लम्हा जी लो मुझको ,लौट के ना आऊंगा।
जाते- जाते एक बात तुझसे कह कर जाऊंगा।
फिर मिलूंगा मैं! तुझको, शायरों की शायरी में।
या मिलूंगा तुझको, मैं ! हिसाब वाली डायरी में।
ध्यान रख मैं हूं तेरे पास ,
कर तुम मुझ पर नाज,
वक्त है तू सोच ले,
राह अब भी खोज ले।
ले कलम ले रच दे अब भी,
तू नया इतिहास।
फिर ना कहना, वक्त मिला ना ,
सोच के ना होना उदास।
क्योंकि वक्त के आगोश में मैं दोस्तों सो जाऊंगा ।
लम्हा लम्हा जी लो मुझको लौट के ना आऊंगा।
छोड़ दे यह झूठे झगड़े , बीज तू ख़ुशी के बो।
सीख देना, सीख लेना रीत तू नई दे बो।
स्वप्न बो खुशियों भरे, इस खुले आकाश तले।
रेखा! गुजरे ख्वाब जैसा कल मैं यूं खो जाऊंगा ।
वक़्त के आगोश में दोस्तों सो जाऊंगा।
लौट के ना आऊंगा।