संदेश विद्यार्थी जीवन के नाम
आजका विद्यार्थी जीवनकाल कठिन होता जा रहा है, इस जीवनकाल में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा का अभाव देखा जा रहा है, जबकि यही वो समय है जब भारत के भविष्य का निर्माण होता है और इसी समय उन्हें कुंठित परिस्थिति प्रदान की जाती है,जो न तो उनके व्यक्तित्व का समग्र विकास कर पाती है और न ही जीवन जीने की कला सीखा पाती है। व्यक्ति के जीवन की सफलता का पैमाना केवल अच्छा आय अर्जन करना नहीं है, ये तो केवल जीवन जीने का साधन मात्र है। व्यक्ति जीवन का अंतिम परिणाम जीवन में प्रसन्नता का अनुभव है। हम सफल इंजीनियर,सफल डाक्टर व सफल उद्योगपति तो बन गये लेकिन क्या हम प्रसन्न है?
क्योंकि अगर हमारे अंदर आंतरिक प्रफुल्लता की कमी हो गई तो हम न ही जीवन का आंनद उठा पाएंगे और न ही सत्कर्मो को कर पाएंगे जो जीवन का मूल उद्देश्य है। इसलिए हमेशा याद रखें कि हमारा उद्देश्य एक आदर्श व्यक्ति बनना, एक प्रसन्नचित व्यक्ति बनना है।
स्वस्थ प्रतिस्पर्धा करते हुए अपना प्रखर व्यक्तित्व गढ़ना है। असफलताओं से निराश न हों बल्कि इन असफलताओं को ही अपने सफलता का मार्ग बनाएं, किसी अवसर से आप चूक गए तो भ्रमित होने की आवश्यकता नहीं है क्या पता कोई दूसरा सुअवसर आगे आपका इंतजार कर रहा हो। ऐसे सकारात्मक सोच को अपनाकर पूरे जोश के साथ आगे बढ़े व जीवन का आंनद उठाएं।
।।रुचि दूबे।।