संत
मिलते अब संत कहाँ जग में।
उलझे सब दौलत की पग में।
मन में सबके मद लोभ भरा-
छल दंभ समाहित है रग में।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
☎️7379598464
मिलते अब संत कहाँ जग में।
उलझे सब दौलत की पग में।
मन में सबके मद लोभ भरा-
छल दंभ समाहित है रग में।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
☎️7379598464