संज्ञान लेना।
किसी भी गंभीर अपराध में, संज्ञान लेना ये मानवता हमारी है।
इंतजार मत करना सलाखों के पीछे पहुचाना अपराधी को,यह जिम्मेदारी तुम्हारी है।
बाल अपराधों को रोको,ये शासन करने वालों क्योंकि दांव पर इज्जत तुम्हारी है।
मत भूल जाना कि मैं पदाधिकारी हूं।
आना जाना लगा रहता है, यहां पर महिमा
ईश्वर की न्यारी है।
रोक सको तो रोको ,अब धरती माता अकुलानी है।
भार से नही पाप की पीड़ा से घबरानी है।
उठो और जागो ये भारत के वीर सपूतों।
बिस्तर पर मरने से अच्छा है,हो जाओ रण भूमि में बलिदानी है।