संजय ने धृतराष्ट्र से कहा –
संजय ने धृतराष्ट्र से कहा –
कौरव पांडव सेनापति अब, बार-बार कर शंखनाद।
रथ सेना के बीच ले चलें ,करना है किससे विवाद।
वादी मैं हूं या भीष्म हैं ,करना है किस पर प्रहार।
केशव रथ ले जाकर बोले, सुन भीष्म पितामह निनाद।
पार्थ अब गांडीव धर कर, जब मोह के वश में हुआ।
हैं देख कर हैरान भगवन ,युद्ध से क्यों विरत हुआ।
था युद्ध पथ पर जब धनंजय, कर्म पथ अनिवार्य अब।
सहोदर ,पितामह, गुरू जनों, को देख युद्ध विमुख हुआ ।
कृष्ण अर्जुन संवाद।
यदि मार के सब प्रिय जनों को, मैं पाप का भागी हुआ?
तो, जीत कर भी हे !परंतप, संसार में दोषी हुआ।
उत्पत्ति और विनाश लीला ,यह सब मेरे अधीन है ।
सृष्टि और ब्रह्मांड सारे ये मुझ में ही विलीन है।
विराट स्वरूप देखकर जब, पार्थ का मोह भंग हुआ ।
सभी पाप- पुण्य कर समर्पित ,तब पार्थ युद्ध प्रवृत्त हुआ।
Dr Praveen Kumar Srivastava “Prem “