संघर्ष
जो मुस्कुरा रहा है।
उसे दर्द ने पाला होगा।
जो चल रहा है।
उसके पांव में छाला होंगा।
बिना संघर्ष के इंसान
चमक नहीं सकता
जिस प्रकार सोना बिना
तपे निखर नहीं सकता
जिंदगी बहुत कुछ सिखा देती है।
बिना संघर्ष किए।
जमीन पर लाकर पटक देती है।
हुआ होगा कोई भूल
तब मैं यहां पर हूं।
थोड़ी सी संघर्ष तो किया होता
तो आज कहीं और होता
सुशील कुमार चौहान
फारबिसगंज अररिया बिहार