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4 Nov 2021 · 1 min read

संघर्ष

जा री हट्ठी गौरइया
कि तुझसे अब मैं हार चुका
खोल दिया है , द्वार देख ले
उस पिंजरे का
जिसमे तू और तेरे साथी
ब्रितानी शासन के जैसे
दण्ड उदण्ड को झेल रहे थे

जा री हट्ठी गौरइया
कि नित दिन पिंजरे की दीवारों –
पर तेरा प्रहार चोंच का
देख देख कर हार चुका अब
मेरे भीतर का रावणपन

जा री हट्ठी गौरइया
कि तेरा यह प्रयास निरंतर
देखके मैं भयभीत हूँ
क्यों कि-
तेरी इस मासूम छवि में
एक बड़ा संघर्ष छुपा है….
**

सरफ़राज़ अहमद “आसी”

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 302 Views
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