संघर्ष
कुछ वक़्त से जमाने से, कट-सा गया हु //
धागो की तरह, जिन्दगी मे उलझ-सा गया हु //
खुद की तलाश मे, कही खो-सा गया हु //
कुछ पाने की ख्वाईश मे, तरस-सा गया हु //
खुद को आजमाने की तमन्ना से, डर-सा गया हु //
हर जगह मिल रही हार से, बिखर-सा गया हु //
दिन-प्रतिदिन संघर्ष से , भयभीत-सा हो गया हु //
जीतने की चाह से ही, हार-सा गया हु //
:-कविराज श्रेयस सारीवान