संघर्ष के दिन
एक मौक़ा चाहिए
हमें भी अब
अपने आपको
साबित करने का
इस दुनिया में
अपने फ़न का
रंग, नूर और
ख़ुशबू भरने का…
(१)
यहां जितना कि कोई हो सकता है
हम भी उतने ही काबिल हैं
लेकिन इस समाज के मनहूस ढांचे
हमारे सपनों के क़ातिल हैं
जो देते नहीं
कोई रस्ता
दिल के हौसलों को
उभरने का…
(२)
यहां सोर्स-सिफारिश के बिना
रोज़गार किसी को मिलता नहीं
यहां घूस-कमीशन के बिना
व्यापार किसी का चलता नहीं
कोई तरीका
सुझता नहीं
अब तो मुफलिसी से
उबरने का…
(३)
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Shekhar Chandra Mitra
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