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11 Feb 2022 · 1 min read

संघर्षं

कविता
मंजिल तक जाने को अपना लगा निशाना।
लक्ष्य को पाने को सोया विवेक जगाना।।
करो संघर्षं लक्ष्य पाने तक,रूकना नहीं बताया।
जितना तुम संघर्षं करो,विजय पताका
फहराओगे,
बस चलते ही रहना,यही बताया।।

कौन सी पीड़ा प्रखर है,कौन सी अमृत लहर है।
कौन सी विषमय नजर है,लहरों का जमाना लद गया है।।

चलते रहना जब तक,तब तक ना पहुंचो मंजिल पार।
रूकना नहीं, गिरना नहीं, हिम्मत कभी मत हार ।।

असम्भव कुछ नहीं होता,हिम्मत आसमां की कर।
गई हैं नारियां जहां, अंतरिक्ष में परीक्षण कर।।

सुषमा सिंह *उर्मि,,

Language: Hindi
382 Views
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