संग संग
संग संग
आ निहारे करीब से
अपलक ..
अधखुली सी आंखों से
सपने..
स्वप्निल,अनुपम सी सौगात लिए
यादे..
सुनहरी सतरंगी,अद्भुत सी करीबियों की
बुदबुदाहट..
दूर तक फैले व्योम में टिमटिमाते तारे
यादों के..
आ समीप बैठ पार करें जीवन
कश्ती में..
दूर तक इच्छाओं का पानी सा
छूना है..
और मैं ओर तुम कश्ती के मुसाफ़िर
साथ चले..
जीवन रूपी कश्ती में बैठ
पार करे..
आ साथ चले ,तू और मैं
मैं ओर तू..
चाँद की शीतलता को छूने
मैं और तू
बहते पानी से जीवन जीने
सिर्फ हम दोनों…