संगीत का भी अपना निराला अंदाज,
संगीत का भी अपना निराला अंदाज,
अपना रंग,अपना ढंग जिसमें खो जाते हैं
बरसों पुराने ग़म,
पीड़ाओं की गहराई में जमीं परतें,
अवसाद रूपी गर्द
और इन्सान कुछ देर के लिए
सब कुछ भूलकर
एक ऐसे आनन्दमय जगत् में पहुंच जाता है
जहां सचमुच आनन्द के सिवा कुछ भी नहीं।
भगवती पारीक ‘मनु’