*संगीतमय रामकथा: आचार्य श्री राजेंद्र मिश्र, चित्रकूट वालों
संगीतमय रामकथा: आचार्य श्री राजेंद्र मिश्र, चित्रकूट वालों के श्रीमुख से
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भरत के उज्ज्वल चरित्र के गान का 8 दिसंबर 2024 रविवार को दोपहर 3:00 बजे से 6:00 बजे तक मिस्टन गंज, रामपुर स्थित ठाकुरद्वारा मंदिर (मुनीश्वर महाराज का मंदिर) में आचार्य श्री राजेंद्र मिश्र, चित्रकूट वालों के श्रीमुख से राम कथा के अंतर्गत श्रवण का पूर्ण लाभ प्राप्त हुआ।
आज की कथा का प्रसंग भरत जी के अद्भुत त्याग पर केंद्रित था। अतः राम कथा ने जो उच्च आदर्शों का गान आज किया, वह संपूर्ण रामचरितमानस में अन्यत्र देखने में नहीं आता। आचार्य श्री राजेंद्र मिश्र जी रामचरितमानस की चौपाइयों के सस्वर गायन में सिद्धहस्त हैं। कंठ गंभीर और प्रभावशाली है। संगीत में आपके साथ उपस्थित संगीतज्ञ तबले-बाजे आदि पर चौपाइयों के साथ सुमधुर संगीत धुन उत्पन्न करके कथा को और भी आकर्षक बनाते हैं । आचार्य श्री को रामचरितमानस कंठस्थ जान पड़ती है। एक-एक प्रसंग चौपाई सहित आपस में तालमेल बिठाते हुए उद्धृत करने की कला आपको आती है। चौपाइयों की विस्तृत व्याख्या आपकी विद्वत्ता का परिचायक है।
राम कथा के साथ-साथ श्रीमद्भागवत तथा भगवद् गीता के विभिन्न अंशों को भी आप प्रासंगिकता के परिपेक्ष्य में श्रोताओं के सम्मुख उपस्थित करते हैं। इससे न केवल हिंदू धर्म से संबंधित विभिन्न ग्रंथों पर आपका गहन अध्ययन प्रकट होता है अपितु धर्म के विविध आयामों की एकरूपता भी श्रोताओं के सम्मुख उद्घाटित होती है।
चौपाइयों को गाकर सुनाते समय आप अद्भुत वातावरण निर्मित कर देते हैं। ऐसी शांति छाती है कि सूई गिरने की आवाज भी कहावत की भाषा में सुनाई दे जाए। श्रोता मंत्रमुग्ध होकर तीन घंटे तक आपको सुनते हैं।
आपने राम और भरत के मिलन का जो चित्र अपने कंठ से वर्णित किया, उसका आनंद तो केवल सुनकर ही लिया जा सकता है। रामचरितमानस की चौपाई आपके द्वारा निम्न प्रकार वर्णित की गई:
उठे राम सुनि प्रेम अधीरा/ कहुॅं पट कहुॅं निषंग धनु तीरा।।
प्रसंग की व्याख्या करते हुए आपने बताया कि जैसे ही भगवान राम को यह पता चला कि वन में उनसे मिलने के लिए भरत जी आए हैं, तो प्रेम से अधीर होकर वह दौड़ पड़े। उनके वस्त्र, धनुष, बाण और तरकश कहॉं गिर पड़े; यह भी उन्हें ध्यान नहीं रहा।
इसी तरह राम और भरत के चित्रकूट में मिलन के अवसर पर सब लोग प्रेम में इतने विभोर हो गए कि कोई कुछ कहने की स्थिति में ही नहीं रहा। आपने चौपाई को तबले और बाजे के साथ श्रोताओं को सस्वर सुनाया। कहा:
कोउ कछु कहइ न कोउ कछु पूॅंछा/ प्रेम भरा मन निज गति छूॅंछा//
चौपाइयों का अर्थ साथ-साथ ही आप श्रोताओं को बताते जाते हैं। कहते हैं कि यह राम और भरत के मिलन का वह अद्भुत क्षण था, जब सबका मन प्रेम से भरा हुआ था। गतिशीलता से रहित था। इसलिए न कोई कुछ कह रहा था, न कोई कुछ पूछ रहा था। सब प्रेम में निमग्न थे।
भक्ति का सर्वोच्च आदर्श आज की कथा में आचार्य श्री ने वर्णित किया। आपने बताया कि भक्ति का आदर्श भगवान से सांसारिक वस्तुएं मॉंगना नहीं है। भक्ति का आदर्श तो भगवान में निरंतर भक्ति बने रहने की अवस्था की प्राप्ति ही होता है। इसलिए जब भरत जी ने प्रयागराज में स्नान किया, तब उन्होंने केवल राम के चरणों में अपना प्रेम सदैव बने रहने का वरदान ही मॉंगा था। सस्वर गायन के साथ दोहा प्रस्तुत करते हुए आचार्य श्री ने रामचरितमानस को उद्धृत किया:
अरथ न धरम न काम रुचि, गति न चहउॅं निर्वाण।जन्म-जन्म रति रामपद, यह वरदानु न आन।।
महाराज दशरथ की मृत्यु भगवान राम का नाम लेते-लेते हुई; यह प्रसंग तो सबको पता है। लेकिन आचार्य श्री ने जिस भावुकता के साथ इस दृश्य का चित्रण किया, वह अविस्मरणीय रहेगा। रामचरितमानस का यह प्रसिद्ध प्रासंगिक दोहा इस प्रकार है:
राम राम कहि राम कहि, राम राम कहि राम। तनु परिहरि रघुवर विरह, राउ गयउ सुरधाम।।
कथा में रोचकता लाने के लिए आचार्य श्री हास्य प्रसंग भी जोड़ते रहते हैं। इसी क्रम में आपने एक मजेदार किस्सा भी सुनाया कि एक गुरु जी भांग का गोला खाकर अपनी चेतना खो बैठे तथा हास्यास्पद परिस्थितियॉं उत्पन्न हो गईं ।
खड़ी बोली के कुछ गीतों को भी आचार्य श्री ने राम कथा के बीच-बीच में गाकर सुनाया। यह भी संगीतमय थे, जिससे रोचकता में विविधता आ गई।
धार्मिक प्रवृत्ति के धनी श्री प्रदीप कुमार अग्रवाल और उनकी पत्नी श्रीमती प्रभा अग्रवाल के द्वारा राम कथा का यह आयोजन मुख्यतः किया जा रहा है। ठाकुरद्वारा मंदिर के निर्माण में भी प्रदीप अग्रवाल जी का विशेष योगदान रहा है। इस हेतु मंदिर के पुजारी महोदय को साथ लेकर आपने नगर का भ्रमण भी मनोयोग से किया था। श्री राम सत्संग मंडल की भी प्रमुख भूमिका रही। वर्तमान कथा श्री राम सत्संग मंडल (अग्रवाल धर्मशाला ) मिस्टन गंज के आयोजन में संपन्न हो रही है। इसका नेतृत्व सत्संग मंडल के विद्वान प्रवचनकर्ता तथा अध्यक्ष श्री विष्णु शरण अग्रवाल सर्राफ द्वारा किया जा रहा है। कार्यक्रम के अंत में श्री विष्णु जी ने आचार्य श्री को धन्यवाद दिया। साथ ही साथ आज के कार्यक्रम के मुख्य अतिथि समाजसेवी श्री देवेंद्र गुप्ता जी तथा उनकी धर्मपत्नी को धार्मिक गतिविधियों में अतुलनीय योगदान के लिए हृदय से धन्यवाद दिया।
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लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा (निकट मिस्टन गंज), रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451