संगति का प्रभाव
आजकल के इस द्रुतगमन में ,
संगति का प्रभाव गर्भधारण होता ,
जगती में अगरचे कुछ गढ़ना है तो ,
उम्दा संगति का होना अनिवार्य है।
उम्दा संगति सर्वथा हमें ,
मंजिल तक पहुँचाती है ,
पर अनिष्ट संगति सर्वथा हमें ,
मंजिल से भटकाती है।
समय रहते द्याेतक लो ,
अपने अनिष्ट संगति को ,
समय रहते जो ना द्याेतक ,
उसकी हयात ध्वस्त हो जातीं।
अनिष्ट संगति का प्रभाव ,
पड़ता हम पर निकृष्ट है,
मस्तिष्क हमारे धीमे – धीमे ,
हृदयग्राही करती बुरी संगति ।
उम्दा संगति में रहने से ,
उत्कृष्ट लत लगती हमें ,
अनिष्ट संगति में रहने से ,
निकृष्ट लत लगती हैं हमें ।
मंजिल को यदि लहना है तो,
उम्दा संगति होना अनिवार्य है
जीवन में उम्दा संगति करो
अपना हयात संपन्न गढ़ाओं।
नाम – उत्सव कुमार आर्या