संगठन यानि दो के बीच ठन जाना
संग+ठन
दो समूहों में आपसी ठनी रहना.
संगठनों की संख्या उन्तीस/तीस लाख
.
सवर्णों के हाथ मंदिर का पुस्तैनी कटोरा है.
बाबा साहब संगठनों के नाम पे दे गये.
उनके त्याग/बलिदान/समानता/स्त्रियों के स्तर/सामाजिक/आर्थिक/व्यसायिक उत्थान करके गये थे.
आप कितने संगठनों को जानते है,
जो मानवीय मूल्यों अहिंसा सत्य शील करुणा पर काम कर रहे है.
.
इसे संघ मतलब इकट्ठा
कोई पद गरीमा के विषय नहीं
समस्याओं पर चर्चा और समाधान पर एकत्रित होकर संघर्ष करना होना चाहिए.
जय भीम 🇮🇳 जय भारत