संक्रांति
कुंडलिया
पर्व संक्रांति मना कर , कर ले वन्दे तू दान
सुधरे तेरा परलोक तब ,जाये तू प्रभु के थान
जाये तू प्रभु के थान ,पतंग सी मन डोर कर
डुबकी गंग में लगा , शीश प्रभु कीओर कर
सूर्य गमन हो मकर ,राशि में ऋतु परिवर्तन
हुआ सूर्य का आज ,शनि घर में समावर्तन