संकल्प
आशाओं के दीप जलाने का संकल्प है,
निष्प्राण जीवन में नव प्राण लाने का संकल्प है।
आत्म मंथन कर मनोयोग से एकाग्रचित्त होना है,
प्रभु स्मृति में खोकर मन को साधने का संकल्प है।
कर्मयोगी बनकर कर्तव्य पथ पर बढ़ते जाना है,
परहित के कार्य कर आनंदित होने का संकल्प है।
ज्योति जलाकर आत्मा की मन में प्रकाश भरना है,
दिव्य गुणों को धारण कर सुवास भरने का संकल्प है।
मन वचन कर्म से पवित्रता का दामन थाम कर,
निरर्थक से हाथ छुड़ा भाग्योदय को पहचाने का संकल्प है।
डॉ दवीना अमर ठकराल’देविका’