Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 May 2024 · 1 min read

संकल्प

सोचो तुम इस दुनिया में
इस धरती का आधार
कष्ट स्वयं ही सह कर के
करती हम सब पर उपकार
सोचो तुम इस दुनिया में
इस मिट्टी का खेल
इससे ही चलती है
इस जीवन की रेल
मिट्टी से संसार बना मिट्टी ही सबकी जननी
मिट्टी की ही बनी है काया मिट्टी की ही है सब माया मिट्टी तन को संवारे हैं मिट्टी ही तन को बिगाड़े
मिट्टी का सब कुछ रेला यह मिट्टी का ही है खेला
सोचो तुम इस दुनिया में
इस प्रकृति चक्र का मर्म
प्रकृति कभी ना बिगड़े करो सदा ऐसा कर्म
वृक्ष लगाए बाग लगाए बूंद बूंद पानी हम बचाए
सोचो तुम इस दुनिया में
कितना कुछ हमने पाया
मानवता का दीप जलाया
चांद छुए ऐसा मार्ग बताया
पर रोक न पाए इस धरती पर प्रदूषण के अभिशाप को जनसंख्या के श्राप को
और मानवता के पाप को
मिले सभी हम प्रेम भाव से यह प्रतिज्ञा उठानी है
हम सबको अपनी यह धरती प्रदूषण मुक्त बनानी है
हम सबको अपनी यह धरती प्रदूषण मुक्त बनानी है

62 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
4546.*पूर्णिका*
4546.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
प्रकृति! तेरे हैं अथाह उपकार
प्रकृति! तेरे हैं अथाह उपकार
ruby kumari
World Emoji Day
World Emoji Day
Tushar Jagawat
दोस्त, ज़िंदगी में तीन चीजे काम करती हैं,नीति,नियम और नियत,अ
दोस्त, ज़िंदगी में तीन चीजे काम करती हैं,नीति,नियम और नियत,अ
Piyush Goel
संवेदना
संवेदना
नेताम आर सी
उदास हूं मैं आज...?
उदास हूं मैं आज...?
Sonit Parjapati
मंत्र :या देवी सर्वभूतेषु सृष्टि रूपेण संस्थिता।
मंत्र :या देवी सर्वभूतेषु सृष्टि रूपेण संस्थिता।
Harminder Kaur
मतलब हम औरों से मतलब, ज्यादा नहीं रखते हैं
मतलब हम औरों से मतलब, ज्यादा नहीं रखते हैं
gurudeenverma198
कुछ लोग ऐसे भी मिले जिंदगी में
कुछ लोग ऐसे भी मिले जिंदगी में
शेखर सिंह
मेरा अभिमान
मेरा अभिमान
Aman Sinha
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
Rj Anand Prajapati
तुम
तुम
हिमांशु Kulshrestha
तुझे पन्नों में उतार कर
तुझे पन्नों में उतार कर
Seema gupta,Alwar
शीर्षक– आपके लिए क्या अच्छा है यह आप तय करो
शीर्षक– आपके लिए क्या अच्छा है यह आप तय करो
Sonam Puneet Dubey
वसियत जली
वसियत जली
भरत कुमार सोलंकी
"कइसन जमाना"
Dr. Kishan tandon kranti
सेल्फी या सेल्फिश
सेल्फी या सेल्फिश
Dr. Pradeep Kumar Sharma
झुर्री-झुर्री पर लिखा,
झुर्री-झुर्री पर लिखा,
sushil sarna
सिमट रहीं हैं वक्त की यादें, वक्त वो भी था जब लिख देते खत पर
सिमट रहीं हैं वक्त की यादें, वक्त वो भी था जब लिख देते खत पर
Lokesh Sharma
पिता की दौलत न हो तो हर गरीब वर्ग के
पिता की दौलत न हो तो हर गरीब वर्ग के
Ranjeet kumar patre
दिवाली है दीपों का पर्व ,
दिवाली है दीपों का पर्व ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
उम्मीद
उम्मीद
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
एक नज़्म _ सीने का दर्द मौत के सांचे में ढल गया ,
एक नज़्म _ सीने का दर्द मौत के सांचे में ढल गया ,
Neelofar Khan
I'm not proud
I'm not proud
VINOD CHAUHAN
सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं
सब लोग जिधर वो हैं उधर देख रहे हैं
Rituraj shivem verma
चलो अब कुछ बेहतर ढूंढते हैं,
चलो अब कुछ बेहतर ढूंढते हैं,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
किसी का खौफ नहीं, मन में..
किसी का खौफ नहीं, मन में..
अरशद रसूल बदायूंनी
*औषधि (बाल कविता)*
*औषधि (बाल कविता)*
Ravi Prakash
आज फिर वही पहली वाली मुलाकात करनी है
आज फिर वही पहली वाली मुलाकात करनी है
पूर्वार्थ
**** दर्द भरा मुक्तक *****
**** दर्द भरा मुक्तक *****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...