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8 May 2024 · 1 min read

संकल्प

सोचो तुम इस दुनिया में इस धरती का आधार
कष्ट स्वयं ही सह कर के करती हम सब पर उपकार सोचो तुम इस दुनिया में इस मिट्टी का खेल
इससे ही चलती है इस जीवन की रेल
मिट्टी से संसार बना मिट्टी ही सबकी जननी
मिट्टी की ही बनी है काया मिट्टी की ही है सब माया मिट्टी तन को संवारे हैं मिट्टी ही तन को बिगाड़े
मिट्टी का सब कुछ रेला यह मिट्टी का ही है खेला
सोचो तुम इस दुनिया में इस प्रकृति चक्र का मर्म प्रकृति कभी ना बिगड़े करो सदा ऐसा कर्म
वृक्ष लगाए बाग लगाए बूंद बूंद पानी हम बचाए
सोचो तुम इस दुनिया में कितना कुछ हमने पाया मानवता का दीप जलाया चांद छुए ऐसा मार्ग बताया पर रोक न पाए इस धरती पर
प्रदूषण के अभिशाप को जनसंख्या के श्राप को
और मानवता के पाप को
मिले सभी हम प्रेम भाव से यह प्रतिज्ञा उठानी है
हम सबको अपनी यह धरती प्रदूषण मुक्त बनानी है हम सबको अपनी यह धरती प्रदूषण मुक्त बनानी है

Language: Hindi
78 Views

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