संकल्प उठाओ – पर्यावरण बचाओ – कविता
हमारी अपनी है वाणी,
चलते बोलते समझते ।
काम अपने सारे करते,
क्योंकि,
“मानव” स्वरूप में है प्राणी।।
चिंतन – मनन का है दिवस आज,
क्यो न करे ,मिलकर यह काज।
धरा की पुकार,हमारे लिए भी उपहार,
बचाकर पर्यावरण, है क्यारी क्यारी सजानी ।।
मेरा लिखना, या आपका पड़ना ही
नहीं होगा काफी ।
कुदरत का किया बहुत नुकसान,
हम सबको मांगनी होगी माफी।।
तो आओ,
संकल्प उठाओ, वृक्ष लगाओ।
बचा रहे पर्यावरण,
साथ – साथ अपनी भी रहे जिंदगानी।।
राजेश व्यास अनुनय