संकट में है मातृभूमि घिरी
उरी_के_अमर_शहीदों_को_अश्रुपूरित_श्रृद्धांजली_____
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संकट में है मातृभूमि घिरी,
फिर सिर पर घटा अँधेरी।
सिंह सपूतों गरज पड़ो,
फिर बज उठी रणभेरी।
उठो नरेन्द्र गर्जना करो,
चीर दो दुश्मन की छाती।
प्रचंड प्रल्यंकर हुंकार भरो,
फूक दो बिगुल निर्णायक युद्ध की।
बहुत हुआ अब , हृदय में
धधक उठी गुस्से की ज्वालामुखी।
चुन-चुन कर संहार करो,
उठो अर्जुन तान गांडीव की डोरी।
अपने हर एक लाल की ,
हिसाब मांग रही है माँ भारती।
सीना फाड़ कुचल डालो ,
शत्रु देख ना पाये सूरज कल की ।
कूचल डालो ,नेस्ततनाबूत करो,
हर चाल कपटी की आत्मघाती।
क्रूरता से संहार करो,
अमन -चैन छिना है सबकी ।
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शत-शत नमन —लक्ष्मी सिंह
?कुर्बानी व्यर्थ न जायेगी?
?यलग़ार?हो—
?जय हिंद?