संकट भारी है
देश का राजा मदद मांगे तो, समझो संकट भारी है।
सारा सरकारी अमला ,कुछ अपनी जिम्मेदारी है।।
रूप विकट धर कोरोना ,अब बन आयी महामारी है ।
हम सब के सहयोग से ही तो, लड़ने की तैयारी है ।।
निकलो मास्क लगाकर, घर में हाथों को भी धो लेना।
थोड़ी सी लापरवाही में अपनों को मत खो देना ।।
अब भी न समझे तो निश्चित कल अपनी ही बारी है।।
सोच कलेजा काँप उठे,ये लाइलाज बीमारी है ।।
दिल दहला उस घटना से ,जिसमे अपनो को खोया है ।
जोक बना तुम हंसते हो ,वो खून के आंसू रोया है ।।
हाहाकार मची धरती पर, मौत का तांडव जारी है।।
लाश मिले ही न अग्नि दाह को, कैसी ये लाचारी है।।
रिश्ते व्यवहार निभाने को ,अब ना हाथ मिलाना तुम।
कोरोना के कीटाणु मत, अपने घर ले आना तुम।।
सीमाओं पर खूब लड़े हम अद्भुत जंग ये जारी है।
अपने अपने बैठ घरों में होगी जीत हमारी है।।
जोखिम में है जान पुलिस सैनिक, चिकित्सकों की हर दम।
बांध कफ़न जब निकले वो ,होतीं परिवार की आंखें नम।।
इन बेटों की माताओं का, देश सदा आभारी है।
भक्तों पर संकट आया औ ,बंद सुदर्शन धारी है।।
रहें सुरक्षित वो भी हम भी ,चाहे जितनी दूरी हो ।
अंतिम वक्त में दूर से देखें ,इतनी भी न मजबूरी हो।।
हाथ जोड़ सब देशवासियों ,से यह विनय हमारी है
केवल घर परिवार नहीं हमे जान सभी की प्यारी है।।
✍?श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव
साईंखेड़ा