Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 May 2023 · 2 min read

षोडश दोहा वृष्टि

शीतलता चारों तरफ़, आई बरखा झूम
मन उपवन में कोकिला, कूक मचाये धूम // 1. //
प्रेम मयूरा नाचता, आग लगी घनघोर
बारिश में तन भीगता, हिया मचाये शोर // 2. //
दृश्य विहंगम सामने, ज्यों रिमझिम बरसात
कलरव की मधुरिम छटा, कुदरत की सौगात // 3. //
घुलता तन में प्रेम रस, बहकी जाये रात
रुक जाओ तुम प्रियतमा, थमे नहीं बरसात // 4. //
बाँहों में सिमटे प्रिये, गरजे ज्यों-ज्यों मेघ
तन-मन दोनों भीगते, बरसे ज्यों-ज्यों मेघ // 5. //
वर्षाऋतु घनघोर है, उत्पन्न प्रलयकाल
कड़क रही है दामिनी, रूप बड़ा विकराल // 6. //
फुदक-फुदक कर मेढ़की, टर्राये दिन-रात
सबको ही सूचित करे, आई है बरसात // 7. //
इंद्रधनुष मन मोहता, किरण लालिमा युक्त
रवि मेघों के मध्य में, वर्षा से उन्मुक्त // 8. //
रिमझिम जब वर्षा हुई, आँख खुली तब भोर
तन-मन बाजी प्रेमधुन, सब बन्धे इक डोर // 9. //
प्यासी धरती को मिले, वर्षा ऋतु से प्राण
मदमस्त सृष्टि झूमती, चले प्रीत के बाण // 10. //
ताल सरोवर जल भरे, बारिश का आभार
हरियाली सर्वत्र है, कण-कण बरसा प्यार // 11. //
पानी के संगीत से, बजते मन के तार
वर्षा की बूँदें करें, पृथ्वी का उद्धार // 12. //
सूखी नदियाँ उफनती, है जलवृष्टि प्रताप
ग्रीष्म दोष से मुक्त हम, मिटे सभी सन्ताप // 13. //
कोई छतरी तानता, ज्यों बरसी बरसात
गोरी चूनर ओढ़ती, छिड़ी प्रेम की बात // 14. //
काग़ज़ की नौका दिखी, होंठों पे फ़रियाद
बारिश में बचपन दिखा, लौटी मधुरिम याद // 15. //
वर्षाऋतु में राधिका, भीगे-भीगे श्याम
वृन्दावन में गोपियाँ, देखें जी को थाम // 16. //

–––––––––––––
1. विहंगम — विहंगम का “सुंदर” से कोई लेना-देना नहीं है। विशेषण के तौर पर इसका अर्थ है आकाश में विचरण या गमन करने वाला और इसी से उसका संज्ञा वाला अर्थ निकलता है— बादल, सूर्य, पक्षी क्योंकि यही हैं जो आकाश में गमन करते हैं।
2. दामिनी — आकाश में चमकनेवाली बिजली, तड़ित।
3. ग्रीष्म दोष — गरमी से उत्पन्न होने वाली समस्याएँ। जब इस रूखे मौसम में प्रकृति के प्राण तक सूख जाते हैं। सूर्य नदी-तलाबों या अन्य स्रोतों का जल सुखा देता है। वृक्ष-पौधों, घास-फूस से हरियाली लुप्त होने के कगार पर पहुँच जाती है। बेचैन मनुष्य, पशु-पक्षी समस्त प्राण त्राहिमाम कर उठते हैं। ऐसे में वर्षा वृष्टि पुनः वसुन्धरा में नए प्राण फूँक देती है।

Language: Hindi
1 Like · 184 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
View all
You may also like:
कुछ चूहे थे मस्त बडे
कुछ चूहे थे मस्त बडे
Vindhya Prakash Mishra
■ क़तआ (मुक्तक)
■ क़तआ (मुक्तक)
*प्रणय प्रभात*
23/136.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/136.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरी शायरी की छांव में
मेरी शायरी की छांव में
शेखर सिंह
The unknown road.
The unknown road.
Manisha Manjari
*** चोर ***
*** चोर ***
Chunnu Lal Gupta
एक बार फिर ।
एक बार फिर ।
Dhriti Mishra
माज़ी में जनाब ग़ालिब नज़र आएगा
माज़ी में जनाब ग़ालिब नज़र आएगा
Atul "Krishn"
मेरी भी कहानी कुछ अजीब है....!
मेरी भी कहानी कुछ अजीब है....!
singh kunwar sarvendra vikram
प्रेम पर बलिहारी
प्रेम पर बलिहारी
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
ज़िंदगी...
ज़िंदगी...
Srishty Bansal
" सर्कस सदाबहार "
Dr Meenu Poonia
My Expressions
My Expressions
Shyam Sundar Subramanian
आखिर क्या कमी है मुझमें......??
आखिर क्या कमी है मुझमें......??
Keshav kishor Kumar
बाबुल का घर तू छोड़ चली
बाबुल का घर तू छोड़ चली
gurudeenverma198
दिन को रात और रात को दिन बना देंगे।
दिन को रात और रात को दिन बना देंगे।
Phool gufran
बेटी
बेटी
Akash Yadav
रमेशराज के बालमन पर आधारित बालगीत
रमेशराज के बालमन पर आधारित बालगीत
कवि रमेशराज
हार में जीत है, रार में प्रीत है।
हार में जीत है, रार में प्रीत है।
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
हंसवाहिनी दो मुझे, बस इतना वरदान।
हंसवाहिनी दो मुझे, बस इतना वरदान।
Jatashankar Prajapati
" परदेशी पिया "
Pushpraj Anant
आया करवाचौथ, सुहागिन देखो सजती( कुंडलिया )
आया करवाचौथ, सुहागिन देखो सजती( कुंडलिया )
Ravi Prakash
आग लगाते लोग
आग लगाते लोग
DR. Kaushal Kishor Shrivastava
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
🥀*अज्ञानी की कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
साधक
साधक
सतीश तिवारी 'सरस'
"शाम-सवेरे मंदिर जाना, दीप जला शीश झुकाना।
आर.एस. 'प्रीतम'
// जनक छन्द //
// जनक छन्द //
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
किसी पत्थर की मूरत से आप प्यार करें, यह वाजिब है, मगर, किसी
किसी पत्थर की मूरत से आप प्यार करें, यह वाजिब है, मगर, किसी
Dr MusafiR BaithA
मत गुजरा करो शहर की पगडंडियों से बेखौफ
मत गुजरा करो शहर की पगडंडियों से बेखौफ
Damini Narayan Singh
काँटा ...
काँटा ...
sushil sarna
Loading...