श्ोर ए दर्द
जीवन के एक मोड में कुछ अग्यार मिल जाते है जो अपने बन जाते है ,
जीवन के मोड में कुछ अग्यार अपने हो जाते है ा
मन की हसरतो को मारकर जीये जा रहे हम ,
दो जून के जुगाड में कर्म किये जा रहे हम ा
मुफलिसी ने किया है जीना दुश्वार हमारा ,
कलम भी छुट गयी रिश्ते भ्ाी टुट गये ा
कर रहा था जाे बागवा बागवानी मेरे बाग की ,
उसने ही मेरे बाग को गुलिस्ता कर दिया ा
उल्फतो के साये में जी रहे है हम ,
कोई हमको यह बता दे वाे बुरे या हम ा
उसकी नशीली अब्सारो के तीर ने ,
मेरा सबकुछ अब्तर कर दिया ा
यु गुरेज करते रहे हमारे महबूब हमारे पास आने को ,
न जाने कब उन्होने अजनबी का साथ कर लिया ा
बडा ही बदगुमानी था हमारे पीर का मौसम ,
हम यु ही डरते रहे बेरहम जमाने से ा
नेमत रही यारब की दराजदस्ती जमाने से ,
गैरत न गिर पाये आदम ख्यालो से ा
तश्नगी ए इश्क में हमे यु इस कदर वो भा गये ,
लाख आर्इ आधियाॅ पर वो हम पर छा गये ा