श्वेत पद्मासीना माँ शारदे
श्वेत पद्मासीना माँ शारदे
वीणा के स्वर आज फिर से संवार दे ।
जागृति हो मन की सब दिशा हो प्रकाशित
जय भारती के गान से ये विश्व हो सुवासित ।
कलुषता मिटे मन की मृदुलता का दान हो
निस्वार्थ सेवा सत्यव्रत धर्म का विहान हो।
अहं भाव संकुचित हो वयं का विस्तार हो
निश्छल प्रकृति सौहार्द का सुहावना प्रभात हो।
अंधकार अति घना है तू श्वेत वर्ण रंजित
हर तिमिर अज्ञान कर माँ ज्ञान से प्रकाशित ।
माँ शारदे तू कर यूँ वीणा के तार झंकृत
हो भावमयी विश्व जागृति ये देश हो सुसंस्कृत ।