*श्रङ्गार*
रुनक-झुनक पायलिया बाजे,
नुपुर पैर इतराय|
चमचम चमचम चमके बिंदया,
मुखड़ा दमके जाय||
कांति स्वर्णिम फूलों से गाल पर,
केश लता लहराय|
अधर-लालिमा नाक-नथनिया,
माँग सिन्दूर भराय||
कानन कुण्डल बालन गजरा,
मंगल सूत्र पहनाय|
मनका-दन्त मृग-नयनी फिर,
मधुर-मधुर मुसकाय||
खनन खनन खन खनके कँगना,
मन भ्रमित कर जाय|
डगर चलत झम झूमर लटके,
कमर लहरिया खाय|
छमछम छमछम चाल हिरन-सी,
‘मयंक’ सबन को भाय|
✍ के.आर. परमाल “मयंक”