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23 May 2021 · 1 min read

श्रृंगार

चूड़ियों की खनक से राग बन जाते हैं
पायलों की छनक से साज बन जाते हैं
आंखों के काजल से नजराने बन जाते हैं
माथे की बिंदिया से प्रीत बन जाती है
मांग में सजा वो सिंदूर किसी का मीत बन जाती है
कानों की बाली किसी का गीत बन जाती है
सजी वह हाथों की मेहंदी किसी का इंतजार बन जाती है
जब सज जाएं सब एक साथ तो किसी का सोलह श्रृंगार बन जाता हैं

** नीतू गुप्ता

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 374 Views

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