श्रृंगार सौंदर्य…
कांच के तुम्हारे नैना,
चाँद से भी निखरते हैं।
जब तुम्हारी हंसी फूलों से,
खुशबू फैलाती है।
तुम्हारी लम्बी और मधुर बातें,
मन को खुश करती हैं।
तुम्हारी मीठी सी मुस्कान,
सबको अपनी ओर खींचती है।
तुम्हारी शांति भरी आंखें,
दिल को सुकून पहुंचाती हैं।
तुम्हारे सुंदर होंठों का,
स्पर्श मन को भाता है।
तुम्हारे सौंदर्य से जुड़े,
सब कुछ है मन में समाया।
तुम्हारी प्रेम भरी निगाहें,
मन को मोहित करती हैं।
तुम्हारे श्रृंगार सौंदर्य,
मन को लुभाता हैं।
तुम्हारे साथ बीते पल,
मन को याद आते हैं।
विशाल बाबू ✍️