श्री हरि भक्त ध्रुव
आओ बच्चों तुम्हें सुनाऊं एक कहानी,
जिसमे है एक राजा और दो दो रानी,
यह कथा है विष्णु पुराण की,
भक्ती,भक्त और भगवान की,
उत्तानपाद राजा सुनीति सुरुचि थी रानी,
उनके पुत्र ध्रुव की है यह कहानी,
भक्त और भगवान की लीला न्यारी।
भक्त ध्रुव की यह है कहानी प्यारी,
सुनीति से ध्रुव और सुरुचि से उत्तम,
मनु के पोते ध्रुव की कहानी सर्वोत्तम,
एक बार ध्रुव बैठा था राजा की गोद में,
देख सौतेली मां सुरुचि आई क्रोध में,
रानी ने ध्रुव को गोद से दिया तुरंत उतार,
मेरी कोख से नहीं जन्म लिया सुन ले राजकुमार,
मुनि नारद ने दिया ध्रुव को समझाय,
परम पिता की गोद से बड़ी न कोय,
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का किया जाप,
डिगा नहीं पाए ध्रुव को सर्दी बारिश ताप,
इंद्रासन डोल उठा , व्याकुल हुए सब देव,
भक्त की भक्ति से श्री हरि प्रसन्न होते सदैव,
उत्तर दिशा में चमकना बनकर तारा,
परम पद मिले तुम्हें जाने जगत सारा,
धन्य धन्य श्री हरि भक्त ध्रुव महान,
देवो ने सुमन बरसाए हर्षित जहान,
यह कथा है विष्णु पुराण की,
भक्ती,भक्त और भगवान की,