Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Dec 2022 · 4 min read

श्री सुंदरलाल सिंघानिया ने सुनाया नवाब कल्बे अली खान के आध्यात्मिक व्यक्तित्व क

श्री सुंदरलाल सिंघानिया ने सुनाया नवाब कल्बे अली खान के आध्यात्मिक व्यक्तित्व का एक आश्चर्यजनक किस्सा
______________________________________
नवाब कल्बे अली खान रामपुर के उदारमना व्यक्तित्व के धनी शासक माने जाते हैं । आप से संबंधित चर्चा अकस्मात आज दिनांक 29 दिसंबर 2020 मंगलवार दोपहर चार बजे चंपा कुँवरी धर्मशाला , मिस्टन गंज में होने लगी । श्री सुन्दरलाल सिंघानिया राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी हैं । मुरादाबाद मंडल का कार्यभार देखते हैं ।आपने नवाब कल्बे अली खान के विषय में सुना हुआ एक किस्सा वर्णित किया ,जिसे सुनकर मैं भी आश्चर्यचकित रह गया ।
चर्चा का आरंभ इस बात से हुआ कि सुन्दरलाल सिंघानिया जी मुझसे इस बात की चर्चा करने लगे कि आपने बाबा लक्ष्मण दास की समाधि पर लगे हुए फारसी भाषा के पत्थर को पढ़ने के लिए जो प्रयत्न किया तथा रजा लाइब्रेरी में जाकर इस संबंध में शोध किया ,उससे मैं बहुत प्रभावित हुआ हूँ।
इसी तारतम्य में सुंदरलाल सिंघानिया जी ने बताया कि नवाब कल्बे अली खान के शासनकाल में कुछ व्यापारी रामपुर की सीमा पर रास्ता भटक गए और किसी भी प्रकार प्रयत्न करने पर भी उन्हें रामपुर में प्रवेश का द्वार नजर नहीं आया । जंगल में भटकते-भटकते वह एक स्थान पर पहुंचे जहाँ सात अलाव रखे हुए थे । उनमें से छह जल रहे थे तथा एक बगैर जला हुआ था। साधु – फकीर उनके आगे बैठे हुए थे । रास्ता भटके हुए व्यापारियों ने एक साधु-फकीर से रामपुर की सीमा में प्रवेश करने का रास्ता मालूम करने का निवेदन किया । साधु – फकीर ने एक कुत्ते को बुलाया और राहगीरों से कहा ” यह कुत्ता आपको रामपुर रियासत की सीमा में प्रवेश करा देगा । आप इसके पीछे-पीछे चलते रहिए । ..और हाँ ! ” -इतना कहकर उन्होंने एक मिट्टी की हाँडी उठाई उस पर कुछ लिखा और कहा “इस (हाँडी) हमारे उपहार को अपने नवाब साहब तक पहुँचा देना।”
व्यापारियों की समझ में कुछ नहीं आया। लेकिन वह उस हाँँडी को संभाल कर रखते हुए कुत्ते के पीछे पीछे चलते गए और कुत्ते ने सकुशल उन्हें रामपुर रियासत की सीमा के भीतर प्रवेश करा दिया। कुत्ते की उपस्थिति भी बड़े विचित्र रूप से सामने आई थी क्योंकि वह इससे पहले कहीं भी नहीं दिख रहा था ।
घर पहुंच कर व्यापारी सो गए । सुबह जब उठे तो इससे पहले कि वह उन साधु- फकीरों द्वारा नवाब साहब के लिए दिया गया उपहार जो कि एक मिट्टी की हाँडी थी और जिस पर कुछ लिखा हुआ था ,उसे नवाब साहब तक किस प्रकार से पहुँचाया जाए इस बारे में विचार करते , तभी नवाब साहब का एक संदेशवाहक उनके पास आया और कहने लगा ” साधु फकीरों ने नवाब साहब के लिए जो संदेश भेजा है , वह आप दे दीजिए ।”
सुनकर व्यापारी आश्चर्य में पड़ गए क्योंकि अभी रात की तो घटना थी और सीधे-सीधे वह घर आए थे तथा इस घटना का किसी से कोई उल्लेख भी नहीं हो पाया था । ऐसे में नवाब साहब तक यह सूचना कैसे पहुंच गई ,यह उनकी समझ से परे था। विचार की गहराइयों में न जाते हुए उन्होंने वह उपहार नवाब साहब द्वारा भेजे गए व्यक्ति को सौंप दिया ।
यह घटना सुनाकर श्री सुंदरलाल सिंघानिया मौन हो गए । मैंने इस पर प्रश्न किया “इसका अर्थ यह है कि नवाब कल्बे अली खाँ दिव्य व्यक्तित्व के स्वामी थे तथा आध्यात्मिक शक्तियों से ओतप्रोत थे ? ”
इस पर श्री सुन्दरलाल सिंघानिया ने कहा कि वह इस बारे में अधिक नहीं कह सकते । उन्हें जो कुछ भी सुनने में आया था वह उन्होंने सुना हुआ वृत्तांत वर्णित किया है। इस पर मैंने विषय को आगे बढ़ाते हुए यह कहा कि रामपुर में सौ वर्ष के उपरांत जो पहला मंदिर शिवालय के रूप में निर्मित हुआ था ,वह भी नवाब कल्बे अली खान के शासनकाल में ही निर्मित हुआ था । जिस गली में वह मंदिर बना, उसका नाम मंदिरवाली गली पड़ गया । नवाब कल्बे अली खान ने भारी विरोध तथा दबाव के बावजूद मंदिर के निर्माण में रुचि ली तथा यह उनकी उदारता का एक स्वर्णिम पक्ष है।
बहरहाल यह तो निश्चित है कि नवाब कल्बे अली खान फारसी भाषा तथा काव्य – रचना के धनी थे । उन्होंने फारसी भाषा में एक कविता – संग्रह तैयार किया था तथा उसे समीक्षा के लिए ईरान भेजा था। वहाँ पर विद्वानों ने उसकी काफी प्रशंसा की थी। इस तरह रामपुर रियासत में फारसी भाषा तथा साहित्य के उन्नयन की दृष्टि से भी नवाब कल्बे अली खान का शासनकाल अत्यंत महत्वपूर्ण है । आपने 1865 से 1887 ईसवी तक रामपुर में शासन किया था । बाबा लक्ष्मण दास ने 1893 ईसवी में समाधि ली थी । इस तरह आप तथा नवाब कल्बे अली खान समकालीन थे । फारसी भाषा में समाधि पर पत्थर का लिखा जाना इस बात को इंगित करता है कि लोकजीवन में फारसी भाषा का प्रयोग नवाब कल्बे अली अली खान के शासनकाल में कितना बढ़ चुका था ।
आप ही के शासनकाल में श्री बलदेव दास चौबे द्वारा फारसी भाषा के सुप्रसिद्ध कवि शेख सादी की पुस्तक करीमा का फारसी से हिंदी में अनुवाद ” नीति प्रकाश” नाम से किया गया था ,जिसे रूहेलखंड लिटरेरी प्रेस द्वारा प्रकाशित किया गया । यह भी हिंदी की साहित्यिक गतिविधियों के प्रचार और प्रसार में नवाब कल्बे अली खाँ के योगदान का प्रमाण है।
●●●●●●●●●●●●●●●●●●●
लेखक : रवि प्रकाश ,
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

340 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

विकल्प
विकल्प
Khajan Singh Nain
छठ के ई त्योहार (कुण्डलिया छंद)
छठ के ई त्योहार (कुण्डलिया छंद)
आकाश महेशपुरी
■
■ "मृतपूजक" वाली छवि से छुटकारा पाएं। जीवित का भी ध्यान रखें
*प्रणय*
जाये तो जाये कहाँ, अपना यह वतन छोड़कर
जाये तो जाये कहाँ, अपना यह वतन छोड़कर
gurudeenverma198
दुर्घटनाओं के पीछे जन मानस में क्रांति हो...
दुर्घटनाओं के पीछे जन मानस में क्रांति हो...
SATPAL CHAUHAN
मानवता का शत्रु आतंकवाद हैं
मानवता का शत्रु आतंकवाद हैं
Raju Gajbhiye
हौंसलों की उड़ान
हौंसलों की उड़ान
Arvind trivedi
- जिंदगानी की कहानी -
- जिंदगानी की कहानी -
bharat gehlot
यूं आसमान हो हर कदम पे इक नया,
यूं आसमान हो हर कदम पे इक नया,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
किसी विशेष व्यक्ति के पिछलगगु बनने से अच्छा है आप खुद विशेष
किसी विशेष व्यक्ति के पिछलगगु बनने से अच्छा है आप खुद विशेष
Vivek Ahuja
बचपन
बचपन
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
बढ़े चलो तुम हिम्मत करके, मत देना तुम पथ को छोड़ l
बढ़े चलो तुम हिम्मत करके, मत देना तुम पथ को छोड़ l
Shyamsingh Lodhi Rajput "Tejpuriya"
The destination
The destination
Bidyadhar Mantry
emotional intelligence will always be my standard. i value p
emotional intelligence will always be my standard. i value p
पूर्वार्थ
हम लहू आशिकी की नज़र कर देंगे
हम लहू आशिकी की नज़र कर देंगे
Dr. Sunita Singh
पर उपदेश कुशल बहुतेरे
पर उपदेश कुशल बहुतेरे
अवध किशोर 'अवधू'
"ख़्वाहिश"
ओसमणी साहू 'ओश'
Every moment has its own saga
Every moment has its own saga
अमित
मुखर मौन
मुखर मौन
Jai Prakash Srivastav
बचा लो तिरंगा
बचा लो तिरंगा
Dr.Pratibha Prakash
3483.🌷 *पूर्णिका* 🌷
3483.🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
बुन्देली दोहा -चीपा (सपने में आवाज नहीं निकलना)
बुन्देली दोहा -चीपा (सपने में आवाज नहीं निकलना)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"मोहे रंग दे"
Ekta chitrangini
भतीजी (लाड़ो)
भतीजी (लाड़ो)
Kanchan Alok Malu
डॉ. ध्रुव की दृष्टि में कविता का अमृतस्वरूप
डॉ. ध्रुव की दृष्टि में कविता का अमृतस्वरूप
कवि रमेशराज
खून के छींटे है पथ्थरो में
खून के छींटे है पथ्थरो में
sushil yadav
नारी की महिमा
नारी की महिमा
indu parashar
दर्पण
दर्पण
Sanjay Narayan
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
धनुष वर्ण पिरामिड
धनुष वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
Loading...