श्री सीता सप्तशती
!!जय श्री राम!!
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श्री सीता सप्तशती
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{ तृतीय सोपान }
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( श्री सीता स्वयंवर एवम् विवाह)
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गतांक से आगे…!
अंक – ५९
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भूमि सुता वैदेही हैं माता जगदम्ब भवानी ।
नारी के संघर्षों की गाथा है सिया कहानी ।।
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दशरथ जी को गुरु वशिष्ठ ने फिर आदेश सुनाया,
तीनों राजकुमारों का भी ,लग्न समय है आया ,
भरतलाल को मिली माण्डवी, कुशध्वज की थी जाया,
सीता से छोटी उर्मिल को लखनलाल ने पाया ,
शत्रुघन संग श्रुतकीर्ति की जोड़ी बनी सुहानी ।
नारी के संघर्षों की गाथा है सिया कहानी ।।५५
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पूरी विधि से राजकुमारों का फिर ब्याह रचाया,
चारों दुल्हन चारों दूल्हे ,नृप दशरथ हरषाया ,
देखे कुलवधुओं को फूला, मन में नहीं समाया,
ले अनुपम सौभाग्य दिवस यह कैसा सुंदर आया ,
करना सब कुछ चाहे अपना मन उन पर कुर्बानी ।
नारी के संघर्षों की गाथा है सिया कहानी ।।५६
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सभी वरों के संग वधू फिर रनवासे में आईं,
लेने लगीं रानियाँ उनकी बारम्बार बलाईं,
हास-विलास परस्पर करके कुल की रीति निभाईं,
टीका कर कुँवरों का उनकी सासू माँ हरषाईं ,
कनखी से निरखें वर अपने, नयन करें मनमानी ।
नारी के संघर्षों की गाथा है सिया कहानी ।।
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क्रमशः……!
-महेश जैन ‘ज्योति’
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(यह काव्य-कथा का एक अंश है जिसे अपनी वाल पर नियमित धारावाहिक रूप में प्रकाशित किया जा रहा है । अब तक इसके ५८ अंक प्रकाशित हो चुके हैं । सभी अंकों के लिये वाल पर विद्वज्जनों का स्वागत है )