श्री राम
श्री राम
केवल नाम ही नहीं,
प्रतीक हैं हमारी आस्था के ,
हमारी पूजा ,हमारी श्रद्धा के।
परिचायक हमारी संस्कृति के,
वाहन हमारे संस्कारों के,
पहचान हमारी भारत भूमि के,
आह्वान मर्यादा पुरूषोत्तम के,
संजीवनी संस्कारों की पूर्ति के।
केवल नाम से राम कहाँ बन सकते हैं,
राम नाम सार्थक है यदि..
आत्मा में रामत्व बसा कर,
उनके जीवन चरित्र को अपना कर,
उनसी मातृ-पितृ भक्ति सीखकर,
ऊँच-नीच का भेद छोड़कर,
प्रेम भाईचारे का पाठ पढ़कर,
सत्य,दया,करुणा,धर्म और
मर्यादा गुण अपनाकर,
जीवन यापन यदि हम करें,
तो शायद…..
श्री राम जी के चरणों की धूल बन जाएँ…
जय श्री राम
नीरजा शर्मा