श्री राम राज्याभिषेक
कुण्डलिया
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वंदन कौशलदेश को, कलित सजा दरबार ।
सिंहासन पर नाथ हैं, शोभित तोरण द्वार ।।
शोभित तोरण द्वार, अयोध्या रुचिर बनी है।
संग विराजत भ्रात, वाम दिशि जगजननी है।।
धन्य नवल कविराय, चरण में केशरिनंदन ।
सुर बरसाते पुष्प, महेश्वर करते वंदन।।
✍️ – नवीन जोशी ‘नवल’
(स्वरचित एवं मौलिक)