श्री कृष्ण कथा सार ः सवैया
!!श्री कृष्ण !!
श्री कृष्ण कथा सार
प्रथम सोपान
अंक – ११
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सवैया
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नौबत बाज रही नँद द्वारन, गूँजत गोकुल में शहनाई ।
ढोल मृदंग बजें ढप ढोलक ,खंजरि खूबहि झाँझ बजाई ।।
टोल जुरे नर नारिन के अति, नाचत गावत धूम मचाई।
लाल जनौ यशुदा सुन री ,चल संग चलें सखि देन बधाई ।।
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आँगन धूम मची नँद के घर, माखन खूबहि नंद खवायौ ।
दूधन की भर नाँद दईं , गुड़ गोकुल में भर पेट लुटायौ ।।
लाड़ुन के भर थार दिये , नर नारिन नें अति मोद मनायौ ।
गौ बछड़ा सँग दान करीं, नँदराय बड़ौ हिय में हरषायौ ।।
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जय जय जय जय बाबा नंद ।
जय हो जय हो गोकुल चंद ।।
यशुदा मैया के आनंद ।
तेरी जै हो बाबा नंद ।।
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क्रमशः…..!
-महेश जैन ‘ज्योति’
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