श्री अन्न : पैदावार मिलेट्स की
जगो किसानो उठो किसानो, अन्न पुराना अच्छा था।
करो पैदावार उसी अन्न की, अन्न वही तो सच्चा था।।
श्री अन्न की ऊपज करो तुम, श्री अन्न संरक्षक हैं।
श्री अन्न की ओर चला जग, श्री अन्न ही रक्षक हैं।।
चेना मकरा सामा सनवा, अपने खेत उगाओ तुम।
ज्वार बाजरा रागी कंगनी, कोदो कुटकी खाओ तुम।।
अति भयंकर रोग चले जो, उनको दूर भगाओ तुम।
करो किसानी सस्ते मे तुम, धन भी खुब कमाओ तुम।।
पानी की ना ज्यादा जरूरत, ना सूखे से डर जाओ तुम।
श्री अन्न की कृषि करो तुम और श्री को घर मे लाओ तुम।।
चना बाजरा मक्का जो जई, मोटा अन्न इन्हे कहते थे।
यही स्वास्थ्य के लिए जरूरी, सही बुजूर्ग ये कहते थे।।
जगो किसानो उठो किसानो, देश देखता तुमको हैं।
श्री अन्न की कृषि करलो, देश देखता तुमको हैं।।
जय जवान और जय किसान से जय विज्ञान तक पहुँचे हैं।
जय जय करते हमतो फिर से, श्री अन्न तक पहुँचे हैं।।
ललकार भारद्वाज