श्रीराम पे बलिहारी
एक जादुई शाम की प्रतीक्षा
पल पल कर जिंदगी बदलती गई दिशा
जाना कहां बस जानें श्रीराम
सुना है सबकी सुनते प्रभु
अध्येता और साधु संत कहते उन्हें विभु
सद्बुद्धि सद्मार्ग की उनसे आरजू
लेखनी चलती रहे सुबह शाम
सरस्वती रचवा दें कुछ जनहित में अभिराम
पढ़कर अभिभूत हो आम अवाम
जुझौती खंड में पाई शरण
व्यास,केशव,तुलसी का ही किया अनुसरण
आराध्य हनुमत ही करते भरण
व्यथाएं जो मथतीं लिखता रहा
संप्रेषण में सफल कितना इससे हो बेपरवाह
अभ्यास पे भरोसा मिलेगा मुकाम
अदना सा एक व्यक्ति संसारी
जीविकोपार्जन की चिंता मन पर सतत भारी
लेखनी चलायमान श्रीराम पे बलिहारी