श्रीराम धरा पर आ जाओ
श्रीराम धरा पर आ जाओ
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हे! श्रीराम तुम धरा पर आ जाओ,
जग के दानवों का संहार कर जाओ।
हे श्रीराम तुम धरा पर आ जाओ —-
कैसी! हैवानियत, प्यार के नाम पर
कर रहे।
अपने संस्कार भूल मानव,छल है
कर रहे।।
धरा के दानवों का तुम नाश कर जाओ।
एकबार! श्रीराम तुम पापियों का अंत
कर जाओ।।
नारी तो हृदय की कोमल जो होती है।
सबको अपने सा ही मासूम समझती है।।
फिर! कभी कोई बेटी कत्लेआम न हो।
हैवान को ऐसा सबक दो, फिर कभी
ऐसा न हो।।
श्रद्धा तो श्रद्धा रखती थी, प्यार पर अपने।
कभी नहीं देखें होंगे, उसने ऐसे सपने।।
कि मुझे! पैंतीस टुकड़ों में काट दिया
जायेगा।
कोई फिर कभी मुझे नहीं देख पायेगा।।
मैं चिल्लाती, गिड़गिड़ाती और हाथ
जोड़ती रही।
मुझे छोड़ दो,खुदा की कसम भी
देती रही।।
पर!उस कसाई ने एक न सुनी,
और मौत के घाट उतारा।
मैं नहीं जानती थी!कि मेरे प्यार का
वीभत्स और भयानक होगा चेहरा!!!
हे श्रीराम तुम धरा पर एक बार
आ जाओ ——-
जग के दानवों का संहार कर जाओ —
सुषमा सिंह*उर्मि,,