Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Nov 2021 · 5 min read

श्रीराम गाथा

श्रीराम गाथा
~~~~~~~~~
कई युग आए और चले गए ,
श्रीराम प्रभु सा,कोई हुआ नहीं ।
होते हैं वीर महान पुरुष ,
पर अन्तर्मन कोई छुआ नहीं ।

धन्य अयोध्या की पावन नगरी ,
सुत देख कौशल्या निहाल हुई ।
युगपुरुष बनकर अवतार लिए ,
नारायण ने बालक रूप धरी ।

कई युग आए और चले गए…

अद्भूत,अखंड रूप दिखलाए ,
कोटि-कोटि ब्रह्मांड समाये ।
अचरज में पड़ी जब माँ कौशल्या,
फिर से बालक रूप धरा वहीं ।

कई युग आए और चले गए…

काकभुशुण्डि संग चले शिवजी ,
बालछवि रुप प्रभु का दर्शन करने ।
ज्योतिष का रुप धरा उसनें ,
दृश्य मनोहर बहुत,अब अवधपुरी ।

कई युग आए और चले गए…

गुरुकुल में शिक्षा ली थी जब,
विश्वामित्र,वशिष्ठ गुरु थे उनके ।
ले भिक्षाटन, भूमिशयन किया ,
फिर वीर धनुर्धर बना वहीं ।

कई युग आए और चले गए…

पाप से बोझिल धरती थी,
संत मुनिवर थे भयभीत यहॉं ।
ताड़का वध करके राघव ,
उन्हें शोकमुक्त कर दिया सही ।

कई युग आए और चले गए…

माँ अहिल्या जो जड़वत थी ,
हो शापग्रस्त बनकर पत्थर ।
चरण रज धुल पाकर,रघुवर का ,
वो शापमुक्त,मुनि गौतम संग गई ।

कई युग आए और चले गए…

सजी मिथिला जनकपुर धाम जहां ,
पहुंचे थे भूप, विशाल कई ।
माँ सीते की स्वयंवर थी सजी ,
शिवधनुष किसी से टुटा ही नहीं ।

कई युग आए और चले गए…

भ्राता संग गए प्रभु स्वयं रघुवर ,
फिर नाम गुरु का लेकर धनुर्धर ।
श्रीराम ने प्रत्यंचा तान धनुष को ,
दो टुकड़ों में खण्डित कर दिया वहीं।

कई युग आए और चले गए…

पुलकित होकर मिथिला नगरी ,
गान मधुर प्रभु गुणगान करी ।
माँ सीते ने प्रभु को किया वरण ,
जिसे देख सुनयना खिल सी गई ।

कई युग आए और चले गए…

बूढ़ी मंथरा ने षड़यंत्र रची ,
रानी केकैयी ने फिर वर मांगी ।
चौदहवर्ष वनवास हुआ रघुवर को ,
दशरथ की आकांक्षा पूरी न हुई ।

कई युग आए और चले गए…

मां सीते संग चले वन को राघव ,
भाई लक्ष्मण क्यों पीछे रहता ।
सब कुछ है विधि के हाथ सदा ,
पर राम कभी विचलित न हुए ।

कई युग आए और चले गए…

आया जब सुरसरि गंगातट पथ में ,
सहजभाव केवट ने विनती किया ।
पहले पाँव पखारण तो दीजिए ,
उतराई तो मैं लुंगा ही नहीं ।

कई युग आए और चले गए…

शोकाकुल हो,विरह-वेदना में दशरथ ,
दे दी प्राणों की आहुति अपनी ।
तज राजमुकुट,अयोध्या में भरत ने ,
श्रीराम से मिलने वन को वो चले ।

कई युग आए और चले गए…

ये भरत-मिलाप का क्षण देखो ,
ब्रह्मांड प्रलय सा भारी था ।
अश्रुधारा प्रेम की जो बह निकली ,
उसकी तो कोई मिसाल नहीं ।

कई युग आए और चले गए…

कंद-मूल खाते दुनु भाई ,
सीता संग वन कुटिया में रहे ।
चौदह साल तपस्वी बनकर ,
भ्राता लक्षमण तो सोया ही नहीं ।

कई युग आए और चले गए…

ठगिनी माया बन,रावण अनुजा ,
करने चली थी,तप भंग वहॉं।
लक्षमण को आया गुस्सा जब,
सूर्पनखा की थी तब, नाक कटी ।

कई युग आए और चले गए…

जीवन तृष्णा भी है मृगमारिच जैसा ,
सीता माता जो तत्क्षण मोहित हुई ।
अहंकारी रावण को मिला अवसर ,
अपहृत होकर वो लंका को चली ।

कई युग आए और चले गए…

लक्ष्मणरेखा कभी लांघो मत ,
भ्राता लक्ष्मण का है वचन यही ।
यही संस्कार सनातन धर्म का ,
पर पालन क्यों न, करता है कोई ।

कई युग आए और चले गए…

गिद्ध जटायु था बूढ़ा लेकिन,
उसने रावण का निज प्रतिकार किया।
पंख कटे, प्राण गंवाकर भी,
अन्याय से कभी, हार माना ही नहीं ।

कई युग आए और चले गए…

शबरी के जूठे बेर खाकर प्रभु ने ,
प्रेम की नवीन परिभाषाएँ दी ।
भावप्रबलता से बढ़कर कोई ,
होती नहीं है प्रेमधारा कहीं भी ।

कई युग आए और चले गए…

वानर सेना की मदद लेकर ,
पहुंचे थे वो सिंधु के तट पर ।
की विनती,अर्पण और पूजन ,
रास्ते की मांग फिर उसने की ।

कई युग आए और चले गए…

जब सिंधुदेव विनती न सुनी ,
तो उठा धनुष, कर मंत्रसिद्ध ।
फिर सिंधुदेव ने दिया दर्शन,
रामसेतु निर्माण की उपाय कही ।

कई युग आए और चले गए…

पंचवटी में बैठी जनकसुता अब ,
विरह की आग में थी तड़प रही ।
त्रिजटा राक्षसी ने कुछ भरोस दिया ,
श्रीराम की बाट में आंख गड़ी ।

कई युग आए और चले गए…

मन्दोदरी ने चेताया था रावण को ,
माँ सीते को तुरंत वापस कर दो।
काल के रुख को समझ लो तुम ,
पर रावण ने अनसुनी कर दी ।

कई युग आए और चले गए…

वीर हनुमान अब उतरे दूत बनकर ,
श्रीराम का आशीर्वाद लिए दिल की ।
लांघा था विशाल पयोनिधि को,
सब बाधाओं को उसने दूर कर दी ।

कई युग आए और चले गए…

लंका को जला लौटे अंजनिपुत्र ,
श्रीराम को सारी कथा कही ।
पता बतलाया जो वैदेही का ,
श्रीराम प्रभु तब व्याकुल हो गए।

कई युग आए और चले गए…

श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम थे ,
युद्ध को दिल से चाहा ही नहीं।
भेजा था पुनः अंगद को वहाँ ,
लेकिन संधि की बात बनी नहीं ।

कई युग आए और चले गए…

रावण का भाई विभीषण था,
अन्याय-अधर्म से विचलित जो हुआ ।
छोड़ा अधर्म का साथ अब वो ,
श्रीराम प्रभु के चरणों तरहीं ।

कई युग आए और चले गए…

संग्राम छिड़ा था महाभारी ,
दोनों ओर कई दिग्गज थे ।
लक्षमण मूर्छित जब हुए वाणों से ,
हनुमान फिर लाए संजीवनी वटी ।

कई युग आए और चले गए…

रावण का दर्प चकनाचूर हुआ ,
बंधु-बांधव सहित मारा वो गया ।
हुई धर्म की जीत फिर से जग में ,
पर अहंकार,प्रभु को छुआ नहीं ।

कई युग आए और चले गए…

वानरसेना की ही,फिर से जरूरत है ,
सुविज्ञजन सुधि लेते ही नहीं ।
जिसमें अहंकार है खुद उपजा ,
वो दशमुख को मिटा सकते ही नहीं।

कई युग आए और चले गए…

सच्ची करुणा और दया लिए ,
यदि राम बसा लो सीने में ।
श्रीराम जपो, श्रीराम जपो ,
कोई दुःख,तब जग में होगा ही नहीं।

कई युग आए और चले गए…

श्रीराम की प्रेरणा मिली मुझको ,
गाथा जो लिखी, आज्ञा उनकी ।
पहुँचाओं इसे, हर मानव तक ,
कल्याण सदा हो जन-जन की ।

कई युग आए और चले गए…

मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – २८ /११ /२०२१
कृष्णपक्ष, नवमी, रविवार,
विक्रम संवत २०७८
मोबाइल न. – 8757227201

Language: Hindi
Tag: गीत
17 Likes · 16 Comments · 5097 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from मनोज कर्ण
View all
You may also like:
विधा:
विधा:"चन्द्रकान्ता वर्णवृत्त" मापनी:212-212-2 22-112-122
rekha mohan
।। श्री सत्यनारायण कथा द्वितीय अध्याय।।
।। श्री सत्यनारायण कथा द्वितीय अध्याय।।
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"" *श्री गीता है एक महाकाव्य* ""
सुनीलानंद महंत
जिंदगी को हमेशा एक फूल की तरह जीना चाहिए
जिंदगी को हमेशा एक फूल की तरह जीना चाहिए
शेखर सिंह
खरीद लूंगा तुझे तेरे नखरों सहित ऐ जिन्दगी
खरीद लूंगा तुझे तेरे नखरों सहित ऐ जिन्दगी
Ranjeet kumar patre
*अंतःकरण- ईश्वर की वाणी : एक चिंतन*
*अंतःकरण- ईश्वर की वाणी : एक चिंतन*
नवल किशोर सिंह
महत्व
महत्व
Dr. Kishan tandon kranti
नारी
नारी
Dr fauzia Naseem shad
रिश्ते की नियत
रिश्ते की नियत
पूर्वार्थ
ज़माने की नजर में बहुत
ज़माने की नजर में बहुत
शिव प्रताप लोधी
Stages Of Love
Stages Of Love
Vedha Singh
उम्र ढली  तो ही जाना, महत्व  जोबन का।
उम्र ढली तो ही जाना, महत्व जोबन का।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
यह रात का अंधेरा भी, हर एक  के जीवन में अलग-अलग महत्व रखता ह
यह रात का अंधेरा भी, हर एक के जीवन में अलग-अलग महत्व रखता ह
Annu Gurjar
जिन्दगी जीना बहुत ही आसान है...
जिन्दगी जीना बहुत ही आसान है...
Abhijeet
****जानकी****
****जानकी****
Kavita Chouhan
*थोड़ा समय नजदीक के हम, पुस्तकालय रोज जाऍं (गीत)*
*थोड़ा समय नजदीक के हम, पुस्तकालय रोज जाऍं (गीत)*
Ravi Prakash
“पेरिस ओलम्पिक और भारत “
“पेरिस ओलम्पिक और भारत “
Neeraj kumar Soni
ऊर्जा का सार्थक उपयोग कैसे करें। रविकेश झा
ऊर्जा का सार्थक उपयोग कैसे करें। रविकेश झा
Ravikesh Jha
चुनाव 2024....
चुनाव 2024....
Sanjay ' शून्य'
ना जाने कौन सी बस्ती ,जहाँ उड़कर मैं आयी हूँ ,
ना जाने कौन सी बस्ती ,जहाँ उड़कर मैं आयी हूँ ,
Neelofar Khan
You are the sanctuary of my soul.
You are the sanctuary of my soul.
Manisha Manjari
तेरा वादा.
तेरा वादा.
Heera S
बेटा
बेटा
अनिल "आदर्श"
करुण पुकार
करुण पुकार
Pushpa Tiwari
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आजकल रिश्तें और मक्कारी एक ही नाम है।
आजकल रिश्तें और मक्कारी एक ही नाम है।
Priya princess panwar
झूठ न इतना बोलिए
झूठ न इतना बोलिए
Paras Nath Jha
कोहराम मचा सकते हैं
कोहराम मचा सकते हैं
अरशद रसूल बदायूंनी
आज़ तेरा है कल मेरा हो जायेगा
आज़ तेरा है कल मेरा हो जायेगा
Keshav kishor Kumar
بولنا سب کو أتا ہے
بولنا سب کو أتا ہے
इशरत हिदायत ख़ान
Loading...