श्रीराधे की ड्यौढ़ी…..
?? जय जय श्रीराधे ??
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कछु नेह आपकौ अद्भुत है,
कछु किरपा है महारानी की।
कछु सद्जन कौ सत्संग मिल्यौ,
कछु महर यमुन के पानी की।
कछु भाव उजागर हैं मन के,
कछु मस्ती मधुर रवानी की।
कछु ‘तेज’ चले तौ जाय पहुंचे,
हम ड्यौढ़ी राधारानी की।
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?तेज, मथुरा✍