Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Jun 2019 · 1 min read

श्रीभगवान बव्वा के दोहे

“श्रीभगवान बव्वा के दोहे”

बच्चों को अब दीजिए, बड़ा ज़रूरी ज्ञान ।
मात पिता के हाथ में, बसते हैं भगवान ।।

नये समय का खेल है, देखो आंखें फाड़ ।
सच का करते सामना, कांपे सबके हाड़ ।।

ठहर जरा सा लेखनी, बांध नहीं यूं बैर ।
बस कर चुप्पी साध ले, अगर चाहती खैर ।

भाई भाई का हुआ, देखो भरत मिलाप ।
राजा मैं हूं बन गया, वन में जाओ आप ।।

मांगा करता मैं सदा, बस यह ही वरदान ।
देश अगर तू मांग ले, दे दूं अपनी जान ।।

मौका हमको दीजिए, करते हैं ऐलान ।
तेरी खातिर ऐ वतन, दे देंगे हम जान ।।

बेटों ने मिलकर किया, जग से न्यारा काम ।
छोड़ दिया बस बाप को, पूजे सारे नाम ।।

आंसू सूखे आंख के, गया दया का भाव ।
केवट ने है दी डुबो, पुरूषोत्तम की नाव ।।

Language: Hindi
236 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सरस रंग
सरस रंग
Punam Pande
फ़र्क़ यह नहीं पड़ता
फ़र्क़ यह नहीं पड़ता
Anand Kumar
*चाँद को भी क़बूल है*
*चाँद को भी क़बूल है*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
மறுபிறவியின் உண்மை
மறுபிறவியின் உண்மை
Shyam Sundar Subramanian
क़यामत ही आई वो आकर मिला है
क़यामत ही आई वो आकर मिला है
Shweta Soni
मेरी खूबसूरती बदन के ऊपर नहीं,
मेरी खूबसूरती बदन के ऊपर नहीं,
ओसमणी साहू 'ओश'
सूनी बगिया हुई विरान ?
सूनी बगिया हुई विरान ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
" भाषा क जटिलता "
DrLakshman Jha Parimal
अंतिम सत्य
अंतिम सत्य
विजय कुमार अग्रवाल
दरोगवा / MUSAFIR BAITHA
दरोगवा / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
...........
...........
शेखर सिंह
कि दे दो हमें मोदी जी
कि दे दो हमें मोदी जी
Jatashankar Prajapati
एक शेर
एक शेर
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
3043.*पूर्णिका*
3043.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अम्बे तेरा दर्शन
अम्बे तेरा दर्शन
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*जनवरी में साल आया है (मुक्तक)*
*जनवरी में साल आया है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
यूंही सावन में तुम बुनबुनाती रहो
यूंही सावन में तुम बुनबुनाती रहो
Basant Bhagawan Roy
डॉ. नामवर सिंह की रसदृष्टि या दृष्टिदोष
डॉ. नामवर सिंह की रसदृष्टि या दृष्टिदोष
कवि रमेशराज
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आदमी बेकार होता जा रहा है
आदमी बेकार होता जा रहा है
हरवंश हृदय
काल भले ही खा गया, तुमको पुष्पा-श्याम
काल भले ही खा गया, तुमको पुष्पा-श्याम
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
दोगलापन
दोगलापन
Mamta Singh Devaa
■ क्यों करते हैं टाइम खोटा, आपस में मौसेर्रे भाई??
■ क्यों करते हैं टाइम खोटा, आपस में मौसेर्रे भाई??
*Author प्रणय प्रभात*
मुक्त्तक
मुक्त्तक
Rajesh vyas
चंद मुक्तक- छंद ताटंक...
चंद मुक्तक- छंद ताटंक...
डॉ.सीमा अग्रवाल
शुभ मंगल हुई सभी दिशाऐं
शुभ मंगल हुई सभी दिशाऐं
Ritu Asooja
दश्त में शह्र की बुनियाद नहीं रख सकता
दश्त में शह्र की बुनियाद नहीं रख सकता
Sarfaraz Ahmed Aasee
हम अभी ज़िंदगी को
हम अभी ज़िंदगी को
Dr fauzia Naseem shad
"लोभ"
Dr. Kishan tandon kranti
सावन‌ आया
सावन‌ आया
Neeraj Agarwal
Loading...