श्रीभगवान बव्वा के दोहे
“श्रीभगवान बव्वा के दोहे”
गांठ मनों में बांधते, रखते बुरे विचार ।
जीवन में मिलता नहीं, उन लोगों को प्यार ।1।
मन में जो भी पालता, नफ़रत और द्वेष ।
जल कर मिलता खाक में, नहीं रहें कुछ शेष ।2।
सदा प्यार की राह पर, चलिए सीना तान ।
जो फैलाते इर्ष्या, मरा हुआ ही जान ।3।
टूटे रिश्ते जोड़िए, कर जीवन आसान ।
बिन अपनों के बाग भी, दिखता है वीरान ।4।
हवा सुहानी जब चले, जगती सारी पीर ।
दिल यादों में डूबता, आंख बहाएं नीर ।5।
उत्तम खुद को मानते, बाकी को बेकार ।
गौर कभी करता नहीं, उन जन पर संसार ।6।
पेड़ से डाली फूटती, जड़ देती आधार ।
माली जब हैं सींचता, बेड़ा लगता पार ।7।
चलती सांसें बोलती, रुकी हुई लाचार ।
जीवन गति का नाम है, जो ठहरा बेकार ।8।
सदा करें आलोचना, ऐसे मिलें जो यार ।
बाधाएं सब दूर हो, लगती नैया पार ।9।
भाव कभी आएं नहीं, कुत्सित और खराब ।
सद्भाव की सदा रहे, हर चेहरे पर आब ।10।