श्रीभगवान बव्वा के दोहे
“श्रीभगवान बव्वा के दोहे”
वाणी में ही रह गई, फीकी एक मिठास ।
पर दिलों में बसी हुई, नफ़रत वाली फांस ।1।
ऐंठ मनों में रह रही, बंद दिलों के द्वार ।
गलियों में हैं घूमता, प्यार बेरोजगार ।2।
नहीं बोलते प्यार से, सब ही मारें तीर ।
मरहम मिलती है नहीं, बढ़ती जाएं पीर ।3।
जिसको अपना मानते, करते हैं विश्वास ।
छ्लनी उसने ही किया,कोना दिल का खास ।4।
खौंफ दिलों में है बसा, सच को मिलती आंच ।
अच्छाई है छुप रही, देख बुरों का नाच ।5।
भला सभी का सोचते, धरते सबका ध्यान ।
पागल उनको बोलते, अब सारे इन्सान ।6।
चैन लूटते फिर रहे, धुआं, धूल, शैतान ।
प्रदूषण से रहे नहीं, सुरक्षित यहां मकान ।7।
ढ़ोल बजाकर कह रहे, मानों हम शैतान ।
बहु को लेने आ गए, करके मदीरा-पान ।8।
सुखी झील तो उड़ गए, पंछी सब नादान ।
जब बरसेगा रामजी, यहीं उगेगा धान ।9।
बड़ा जरूरी है हुआ, बदले अब यह दौर ।
नेक हुए बेहाल हैं, ऐश कर रहे चोर ।10।