श्रीकृष्ण जन्माष्टमी
#श्रीकृष्ण_के_4542वें_प्राकट्य_वर्ष_की_हृदय_से_अभिनन्दन
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दूर करनें को सभी विपदा कहीं से आ जाएं
खो चुकी जो धरा सम्पदा, देने कहीं से आ जाएं
साध कर जियें अपना ज़िंदगी ज़िसके तरह सब
जग को तारने वालें, ओ कृष्णा कहीं से आ जाएं !
चेतना में आज सबकें कौरव षड्यंत्र चल रहा हैं
कौरवों सी क्रूरता से हर तंत्र अब फूल फल रहा हैं
पांडवी ऊर्जा गति निष्क्रिय निशदिन हो रही हैं
कालिया जरासंध का राज्य सब ओर बढ़ रहा हैं,
स्नेह श्रम सदभाव का अभाव होता जा रहा हैं
भय आतंक के भाव में सब जीव भागा जा रहा हैं
नारियाँ शोषित बेचारों की व्यथा अब सुनें कौन ?
आस आने की अब तेरे, हे कृष्ण मन से जा रहा हैं !
लूट रहा अब देश अपना लूट रहा सब धर्म हैं
कराहता सड़कों पर सारे दीन हीन का मर्म हैं
खो चुका प्रतिकार हिम्मत क्रूरता के कंस से
देख कर आंखों में अब ना, भारतीय के शर्म हैं,
हे मेरें गोविंद माधव ! हे मेरे कान्हा अहो
आज प्रगट हर रूप से हो, दूर सब विपदा हरो
जग जाए पुरुषार्थ सबमें, नाम बस कृष्णा जपो
मिट जाए संताप सबसें, कृष्णा बनो कृष्णा सधो,
हो जाये हम कृष्ण जैसा देखकर शासन अभी
भागें ना मुश्किल से कोई, चाहें हो प्रशासन सभी
डूब कर रम कर सभी में निराकरण करतें रहों
नाम तेरा बस जबां से,कृष्णा कहों कृष्णा कहों ।।
©बिमल तिवारी “आत्मबोध”
देवरिया उत्तर प्रदेश