“श्रीकृष्ण-लीला” और “प्रकृति-संरक्षण”
अपना भी मन तो बहुत करता है,
पेड़ कदम पर बैठ बंशी बजाने का,
आशीर्वाद मिले प्रभु तुम जैसा,
मलहार प्रेम प्यार के गाने का,
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गोपियों संग रास रचाने का,
प्रभु तुम कर्ता हो मैं अभिव्यक्ति,
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संदेश तुम्हारे बन जाऊँ,
इतनी सी दृष्टि दे देना,
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अंधकार दूर हो इस तन-मन के,
इतनी आत्मिक उज्ज्वलता दे देना,
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*सब कष्ट कटे इस तन-मन के,
गीता का हर योग सिखा देना,
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विषय-विकार मिटे सब कष्ट कटे,
निजता में रहे निष्ठा हर राज सिखा देना,
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जीव जीवन में सदा रहे आस्था,
कलियुग की हर छाया से बचा लेना,
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प्राकृतिक आपदा इन्द्र प्रकोप से बचने को,
गोवर्धन-पर्वत,प्रकृति-संरक्षण का संबोधक पाठ हर गोप-गोपियों डॉ महेंद्र को पढ़ा देना,
डॉ महेन्द्र सिंह खालेटिया,