श्राप
अभी भी विश्वास नहीं होता है
शायद है विधि का यही विधान
गांधारी के दिये श्राप का ही
शायद है यह गंभीर परिणाम
जिस तरह आज तुम्हारे कारण
हस्तिनापुर हो चुका है पूरा बर्बाद
याद रख शकुनि तुम्हारा गांधार
अब कभी भी नहीं रहेगा आबाद
सच में वहाॅं पर मच गया था
चारों ओर लोगों का हाहाकार
हर ओर केवल सुनाई पड़ती थी
भयभीत लोगों की ही चित्कार
विकृत मानसिकता वालों ने वहाॅं
लोगों का जीना दूभर कर दिया
हथियारों का भय दिखला कर
राष्ट्र पर ही अधिकार कर लिया
आतंकियों के आतंक से तो वहाॅं
मचा हुआ था जबरदस्त घमासान
पत्नी और बच्चों को वहीं छोड़ कर
लोग दौड़ पड़े बचाने अपनी जान
धर्म के नाम पर उन्मादियों ने
किया है वहाॅं बहुत बड़ा छल
और उनके पापों के बोझ से तो
काँपने लगा है अब पूरा भूतल
बात बात पर ही वहाॅं आतंकी
दिखलाने लगता है अपना बल
अब तो लोगों का वहाॅं जीना भी
मुश्किल हो जाता है एक पल
जब भी उनका जी चाहेगा
लोगों को देगा गोली से भून
मानव मूल्यों का तो मानो
यहाँ लगभग हो गया है खून
तर्क और आधुनिकता का अभी
यहाॅं अब कोई भी जगह नहीं है
जो भी जब मन चाहे वह बोल दे
सबके लिए एकदम वही सही है