Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Sep 2020 · 5 min read

श्राद्ध:-

हिंदू पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष अश्विन मास के कृष्ण पक्ष में आता हैं। इनकी शुरुआत पूर्णिमा तिथि से होती है और समापन अमावस्या पर होता है।अंग्रेजी कैलेंडर के मुताबिक हर साल सितंबर के महीने में पितृ पक्ष की शुरुआत होती है।
श्रद्धा से श्राद्ध बना है। श्रद्धापूर्वक किए गए कार्य को ही श्राद्ध कहते है। श्राद्ध से श्रद्धा जीवित रहती है। श्रद्धा को प्रकट करने का जो प्रदर्शन होता है, वह श्राद्ध कहलाता है। जीवित बुजुर्गों और गुरुजनों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए उनकी अनेक प्रकार से सेवा पूजा तथा संतुष्टि की जा सकती है, परंतु पितरों के लिए श्रद्धा एवं कृतज्ञता प्रकट करने वाले को कोई निमित्त बनाना पड़ता है। यह निमित्त है श्राद्ध। इस वर्ष श्राद्ध पक्ष 17 दिन का रहेगा, जो 1 सितंबर से आरंभ होकर 17 सितंबर तक चलेगा। अपने दिवंगत पूर्वजों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने तथा उनके स्नेह एवं आशीर्वाद प्राप्त करने का यह सर्वोत्तम अवसर है। हिंदु परंपरा के अनुसार श्राद्ध पक्ष को दिवंगत आत्माओं से आशीष लेने का महापर्व के रूप में भी माना गया है।श्राद्ध से उनके पितर संतुष्ट होकर उन्हें आयु, संतान, धन, स्वर्ग, राज्य मोक्ष व अन्य सौभाग्य प्रदान करते हैं।

आत्मिक प्रगति के लिए सबसे महत्वपूर्ण तथ्य है- ‘श्रद्धा’
——————————————————————-
श्रद्धा में शक्ति भी है। वह पत्थर को देवता बना देती है और मनुष्य को नर से नारायण स्तर तक उठा ले जाती है। किंतु श्रद्धा मात्र चिंतन या कल्पना का नाम नहीं है। उसके प्रत्यक्ष प्रमाण भी होना चाहिए। यह उदारता, सेवा, सहायता, करुणा आदि के रूप में ही हो सकती है। इन्हें चिंतन तक सीमित न रखकर कार्यरूप में, परमार्थपरक कार्यों में ही परिणत करना होता है। यही सच्चे अर्थों में श्राद्ध है।

श्राद्ध परंपरा:-
——————
भारतीय संस्कृति के अंतर्गत पितरों को अन्न जल केवल उसके परिवार वाले ही दे सकते हैं वोह किसी और के हाथ से अन्न-जल ग्रहण नहीं करते (कुछ विशेष परिस्थितियों को छोड़ कर) अतः पित्री तर्पण श्राद्ध का महत्त्व अधिक है।श्रद्धा से जो दिया जाये वो ही श्राद्ध है : धर्म शात्रों के अनुसार पितरों को पिंड दान वाला सदैव ही दीर्घायु,पुत्र-पोत्रादी,यश,स्वर्ग,पुष्टि,बल,लक्ष्मी,सुख-सोभाग्य सभी अनायास ही प्राप्त कर लेता है यही नहीं जब तक हमारे पितृ तृप्त होकर प्रसन्न नहीं होंगे हमें मोक्ष असंभव है।इसी प्रकार श्राद्ध करता को भी इन दिनों दातुन करना,पान खाना,शरीर पर साबुन तेल लगाना, स्त्री-संग करना दूसरे का या अपवित्र अन्न ग्रहण करना सभी वर्जित है !श्राद्ध के भोजन में लहसुन,प्याज,उर्द/अरहर/मूंग/की दाल कद्दू,घिया की सब्जी वर्जित है ! दाल के दहीबड़े ठीक हैं।
श्राद्ध वाले दिन नहा-धोकर अपना नाम गोत्र बोल कर संकल्प करें “भोजन शुध्ह,राजसी होना चाहिए यथा सामर्थ्य अधिक से अधिक भोज्य पदार्थ बना कर ब्राह्मण को आसान पर बैठा कर चरण धोकर नतमस्तक होकर प्रणाम करें एवं ब्राह्मण देव में पितरों का आभास करें शांत-शुद्ध श्रद्धा युक्त मन वचन कर्म से ब्राह्मण देव का पूजन करें सीधे हाथ की प्रथम ऊँगली से सफेद चन्दन का तिलक करें तिल/श्वेत पुष्प अर्पण करें पुरुष स्वयं अन्न परोसें निरंतर विष्णवे नमः का जाप करते रहें फिर ब्राह्मण देव के सामने साफ भूमि या पाटली पर अन्न-जल परोसें नमक कम ज्यादा के लिए या और क्या लेंगे ऐसा न पूछें इस समय में पित्री सूक्त का पाठ या गीता जी का पाठ करना ठीक रहता है फिर हाथ धुलने से पहले फल-मिठाई सहित दक्षिणा प्रदान करें क्यूंकि हाथ धोने के बाद यज्ञ पूर्ण हो जाता है और दक्षिणा के बिना यज्ञ अधूरा रह जाता है ब्राह्मण जब खाना खा चुकें उनसे आज्ञा लेकर अपने बंधू-बांधव सहित भोजन ग्रहण करें शाम से पहले घर में झाड़ू न लगाएं यदि पिंड दान किया है तो सूर्य अस्त के बाद अन्न खाना वर्जित है सूर्य अस्त के समय दरवाजे में जल छिडक कर पितरों से सुख पूर्वक उनके स्थान पर आशीर्वाद देते हुए प्रस्थान की प्रार्थना करें और अन्न ग्रहण करने के लिए उनका हाथ जोड़ कर धन्यबाद करें ।

पितरों के प्रति श्रद्धा का महापर्व श्राद्ध:-
————————————————
पितरों के लिए कृतज्ञता के इन भावों को स्थिर रखना हमारी संस्कृति की महानता को ही प्रकट करता है, जिनके सत्कार के लिए हिन्दुओं ने वर्ष में 16 दिन का समय अलग निकाल लिया है। पितृ भक्ति का इससे उज्ज्वल आदर्श और कहीं मिलना कठिन है। पितृ पक्ष का हिन्दू धर्म और हिन्दू संस्कृति में बड़ा महत्व है। इस दौरान पितरों का तर्पण श्रद्धा द्वारा पूरा किया जाता है। हिन्दु शास्त्रों के अनुसार मुत्यु होने पर मनुष्य की जीवात्मा चन्द्रलोक की तरफ जाती है और ऊंची उठकर पितृलोक में पहुंचती है। इन मृतात्माओं को अपने नियत स्थान तक पहुंचने की शक्ति प्रदान करने के लिए पिण्डदान और श्राद्ध का विधान किया गया है। धर्म शास्त्रों में यह भी कहा गया है कि जो मनुष्य श्राद्ध करता है, वह पितरों के आशीर्वाद से आयु, पुत्र, यश, बल, बैभव, सुख और धन-धान्य को प्राप्त करता है।

इसका लाभ है कि नहीं? :-
——————————
इसके उत्तर में यही कहा जा सकता है कि होता है, लाभ अवश्य होता है। संसार एक समुद्र के समान है, जिसमें जल-कणों की भांति हर एक जीव है। विश्व एक शिला है, तो व्यक्ति एक परमाणु। जीवित या मृत व्यक्ति की आत्मा इस विश्व में मौजूद है और अन्य समस्त आत्माओं से उसका संबंध हैं। छोटा सा यज्ञ करने पर उसकी दिव्य गंध व भावना समस्त संसार के प्राणियों को लाभ पहुंचाती है। इसी प्रकार कृतज्ञता की भावना प्रकट करने के लिए किया हुआ श्राद्ध समस्त प्राणियों में शांतिमयी सद्भावना की लहरें पहुंचाता है। यह सूक्ष्म भाव-तरंगें तृप्तिकारक और आनंददायक होती हैं। सद्भावना की तरंगें जीवित मृत सभी को तृप्त करती हैं, परंतु अधिकांश भाव उन्हीं को पहुंचता है, जिनके लिए वह श्राद्ध विशेष प्रकार से किया गया है। तर्पण का वह जल उस पितर के पास नहीं पहुंचा, वहीं धरती में गिरकर विलीन हो गया, यह सत्य है।
यज्ञ में आहुति दी गयी सामग्री जलकर वहीं खाक हो गयी, यह सत्य है। पर यह कहना ठीक नहीं कि इस यज्ञ या तर्पण से किसी का कुछ लाभ नहीं हुआ। धार्मिक कर्मकाण्ड स्वयं अपने आपमें कोई बहुत बड़ा महत्व नहीं रखते। महत्त्वपूर्ण तो वे भावनाएं हैं, जो उन अनुष्ठानों के पीछे काम करती हैं। श्राद्ध को केवल रुढ़िवादी परंपरा मात्र से पूरा नहीं कर लेना चाहिए, वरन् पितरों के द्वारा जो उपकार हमारे ऊपर हुए हैं, उनका स्मरण करके, उनके प्रति अपनी श्रद्धा और भावना की वृद्धि करनी चाहिए। साथ-साथ अपने जीवित बुजुर्गों को भी नहीं भूलना चाहिए। उनके प्रति भी आदर, सत्कार और सम्मान के पवित्र भाव रखने चाहिए।
यदि आप जीवन में पूर्ण सुख चाहते हैं और सुखी जीवन जीते हुए अंत में मोक्ष की कामना करते हैं तो आपको इन दिनों तन-मन-धन से पितरों की सेवा करनी चाहिए पुरे पन्द्रह दिन पित्री पूजा का विधान इस प्रकार है।
प्रातः षट्कर्म के बाद कलश पर हरे कपडे में नारियल स्थापित करें “ओं एम् हरीम कलीम स्वधा देव्या नमः से पित्री शक्ति माँ स्वधा देवी का आह्वान पूजन करें तदुपरांत सर्व देव पूजन नवग्रह पूजन के बाद भगवान श्री विष्णु जी का पूजन करें एक सफेद कपडे में पानी वाला नारियल रखें एक रूपया पांच मुट्ठी चावल रख कर नारियल को लपेट लें शुध्ह आसान पर विराजित करें एक शुध्ह साफ सुथरा मीठा बीज युक्त फल अर्पण करें पितरों का मानसिक ध्यान करें

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 492 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Manju Saini
View all
You may also like:
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कई रंग देखे हैं, कई मंजर देखे हैं
कई रंग देखे हैं, कई मंजर देखे हैं
कवि दीपक बवेजा
याद रहे कि
याद रहे कि
*Author प्रणय प्रभात*
हम कैसे कहें कुछ तुमसे सनम ..
हम कैसे कहें कुछ तुमसे सनम ..
Sunil Suman
*दीपक सा मन* ( 22 of 25 )
*दीपक सा मन* ( 22 of 25 )
Kshma Urmila
बरपा बारिश का कहर, फसल खड़ी तैयार।
बरपा बारिश का कहर, फसल खड़ी तैयार।
डॉ.सीमा अग्रवाल
बिन बोले सुन पाता कौन?
बिन बोले सुन पाता कौन?
AJAY AMITABH SUMAN
एकांत चाहिए
एकांत चाहिए
भरत कुमार सोलंकी
"बोलती आँखें"
पंकज कुमार कर्ण
समल चित् -समान है/प्रीतिरूपी मालिकी/ हिंद प्रीति-गान बन
समल चित् -समान है/प्रीतिरूपी मालिकी/ हिंद प्रीति-गान बन
Pt. Brajesh Kumar Nayak
हमको
हमको
Divya Mishra
*शिवाजी का आह्वान*
*शिवाजी का आह्वान*
कवि अनिल कुमार पँचोली
चार दिन की ज़िंदगी
चार दिन की ज़िंदगी
कार्तिक नितिन शर्मा
चांद से सवाल
चांद से सवाल
Nanki Patre
बारिश में नहा कर
बारिश में नहा कर
A🇨🇭maanush
अरे लोग गलत कहते हैं कि मोबाइल हमारे हाथ में है
अरे लोग गलत कहते हैं कि मोबाइल हमारे हाथ में है
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
लेकर सांस उधार
लेकर सांस उधार
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
"गौरतलब"
Dr. Kishan tandon kranti
हमनवा
हमनवा
Bodhisatva kastooriya
हिन्दी दिवस
हिन्दी दिवस
मनोज कर्ण
रामपुर में काका हाथरसी नाइट
रामपुर में काका हाथरसी नाइट
Ravi Prakash
देश की हिन्दी
देश की हिन्दी
surenderpal vaidya
मोहब्ब्बत के रंग तुम पर बरसा देंगे आज,
मोहब्ब्बत के रंग तुम पर बरसा देंगे आज,
Shubham Pandey (S P)
शहद टपकता है जिनके लहजे से
शहद टपकता है जिनके लहजे से
सिद्धार्थ गोरखपुरी
जाने इतनी बेहयाई तुममें कहां से आई है ,
जाने इतनी बेहयाई तुममें कहां से आई है ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
डॉ. नगेन्द्र की दृष्टि में कविता
डॉ. नगेन्द्र की दृष्टि में कविता
कवि रमेशराज
कैसी लगी है होड़
कैसी लगी है होड़
Sûrëkhâ Rãthí
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
3223.*पूर्णिका*
3223.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
करता नहीं हूँ फिक्र मैं, ऐसा हुआ तो क्या होगा
करता नहीं हूँ फिक्र मैं, ऐसा हुआ तो क्या होगा
gurudeenverma198
Loading...