श्राद्ध पक्ष मे मान
जीते जी औलाद का, मिला न जिनको प्यार ।
पितृ पक्ष में हो रहा, …..उनका भी सत्कार ।।
जीते जी माँ बाप को,…नही पिलाया ऩीर ।
श्राद्ध पक्ष में मे शान से,उन्हे खिलाते खीर ।।
जिन्दा थे तब तो कभी, लिया न आशीर्वाद ।
श्राद्ध पक्ष में कर रहे,…उन पुरखों को याद ।।
श्राद्ध पक्ष में कर रहे, तर्पण व्यक्ति तमाम ।
श्रद्धा के अनुरूप ही,…..पाते हैं परिणाम ।।
मरके भी जो श्राद्ध मे,खिला रहे हैं माल ।
बडें बुजुर्गों का इसे,कहिए मित्र कमाल ।।
रमेश शर्मा